राजगढ़:बसंत पचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. भारतीय जलवायु के अनुसार एक वर्ष को 6 ऋतुओं में विभाजित किया जाता है, जो कि बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु के नाम से जानी जाती हैं. इन सभी 6 ऋतुओं में से बसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. बसंत ऋतु की शुरुआत माघ शुक्ल की पंचमी तिथि से मानी जाती है, इसीलिए इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है.
बसंत पंचमी के बाद खेतों में लहलहा उठेगी फसल
बसंत ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती हैं और फूल खिलने लगते हैं. हर जगह खुशहाली दिखाई देने लगती है, ऐसा लगता है मानो धरती पर सोना उग रहा है क्योंकि धरती पर फसल लहलहाने लगती है. ऐसी भी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का भी आयोजन किया जाता है. बसंत पंचमी के दिन लोगों को पीले रंग के कपड़े पहन कर, पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. बसंत पंचमी के दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और प्रसाद के रूप में पीले रंग के मीठे चावालों का वितरण और सेवन करते हैं. पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है.
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