पांवटा साहिब : प्रदेश में कोरोना का कहर जारी है. कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. इसी कड़ी में सरकार ने आशा वर्कर्स को सक्रिय भूमिका निभाने के आदेश दिए हैं. इसके बाद जिला सिरमौर की आशा वर्कर्स ने कैबिनेट मंत्री के सामने अपनी समस्याओं को रखा.
उन्होंने कहा कि उनके पास किसी तरह की कोई भी सुरक्षा इंतजाम नहीं है और सीधे तौर पर उन्हें संक्रमित लोगों से मिलना होता है. वहीं, उन्हें पूरा दिन फील्ड में काम करने के बाद केवल 100 रुपये मिल रहे हैं जो कि सरकार द्वारा निर्धारित डेली वेज 255 रुपए से भी बेहद कम है. इतना ही नहीं इस कोरोना काल में आशा वर्कर्स को सीधे संक्रमितों के सामने झोंक दिया जाता है ना तो इनके लिए कोई नीति है और ना ही उन्हें सम्मान पूर्वक मानदेय दिया जा रहा है.
फ्रंट लाइन पर काम कर रही आशा वर्कर्स ने कहा कि गर्भवती जनरल महिलाओं की देखभाल की 600 रुपये उन्हें 9 माह बाद मिलते थे वह भी अब बंद कर दिए गए हैं, जबकि हमारी जिम्मेदारी अब भी सभी गर्भवती महिलाओं की देखभाल की रखी गई है.
अगस्त के बाद कोरोना संकट का मानदेय नहीं मिला
कोरोना संकट में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली आशा वर्कर्स को अब तक अगस्त के बाद कोरोना संकट का मानदेय नहीं मिल पाया है. वहीं, एक बार फिर सरकार चाहती है कि आशा वर्कर्स इस वक्त हिमाचल प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर मैदान में उतरे और सर्वे कर लोगों का विवरण सरकार तक पहुंचाए. उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के दौरान उन्हें प्रति माह केवल 1000 रुपया मानदेय दिया गया. अगस्त के बाद वह भी नहीं आ रहा है.