शिमला:दुनिया भर में हर साल 23 अक्टूबर को विश्व हिम तेंदुआ दिवस मनाया जाता है. हिम तेंदुआ विलुप्ति की कगार पर पहुंचता जा रहा है. हिमालयी राज्यों की शान हिम तेंदुआ को बचाने के लिए प्रशासन की कवायद जारी है. हिम तेंदुए के अस्तित्व के बढ़ते खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आज पूरे विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस मनाया जाता है. हिम तेंदुआ या स्नो लेपर्ड एक ऐसा जीव है जिसे देखना दुनिया के सबसे बड़े रोमांच में से एक है. दरअसल हिम तेंदुए बर्फीले इलाकों में रहते हैं. बर्फ की सफेद चादर के बीच रहने के कारण इन्हें देख पाना बहुत ही दुर्लभ है, इसीलिए दुनिया में इनकी सटीक संख्या का अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल है. अपने रंग रूप और अपने प्राकृतिक आवास के कारण ये किसी छलावे से कम नहीं है. 23 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य हिम तेंदुए के संरक्षण के महत्व के बारे में दुनियाभर में जागरूकता फैलाना है.
हिम का आंचल और हिम तेंदुए: हिम तेंदुआ हिमाचल का राजकीय पशु है. हिमाचल में इस वक्त हिम तेंदुओं की तादाद 100 से ज्यादा है. हिमाचल के लाहौल स्पीति, किन्नौर और चम्बा के पांगी समेत अन्य बर्फीले इलाकों में कुछ वक्त पहले हुए सर्वे में 49 हिम तेंदुए होने का प्रमाण मिला था. उसी आधार पर पूरे प्रदेश में इनकी संख्या का अनुमान लगाया गया है. राज्य के वन विभाग ने सर्वे करवाया था. इसके लिए एक निजी संस्था नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन (एनसीएफ) का सहयोग लिया गया था. (world snow leopard day )
स्नो लैपर्ड का मूल्यांकन करने वाला बना देश का पहला हिमाचल:दुर्लभ वन्य प्राणियों के संरक्षण में हिमाचल से एक अच्छी खबर है. यहां के वनों में विचरण करने वाले दुर्लभ बर्फानी तेंदुए यानी स्नो लैपर्ड का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है. हिमाचल में इस समय 73 बर्फानी तेंदुओं का पता चला है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इनकी संख्या जल्द ही 100 का आंकड़ा पार कर जाएगी. बड़ी बात यह है कि बर्फानी तेंदुओं का संरक्षण करने के साथ ही उनके मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. (snow leopard in himachal)