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3 साल बाद लौटी महिला की आंखों की रोशनी, दिल्ली-चंडीगढ़ तक डॉक्टरों ने खड़े कर दिए थे हाथ

चगांव गांव की रहने वाली शोभा नेगी की आंखों की रोशनी एक बार फिर लौट आई है. शोभा नेगी की आंखों के इलाज के लिए परिवार ने दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला, पालमपुर तक कई बड़े अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन हर जगह डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे. इसके बाद रिकांगपिओ अस्पताल में डॉ. अविनाश ने शोभा नेगी का ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी दी है.

शोभा नेगी
रिकांगपिओ अस्पताल

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Published : Sep 9, 2020, 7:26 PM IST

किन्नौर: क्षेत्रीय अस्पताल रिकांगपिओ के डॉ. अविनाश नेगी ने 49 साल की महिला की आंखों में एक बार फिर रोशनी जगाई है. चगांव गांव की रहने वाली शोभा नेगी की आंखों की रोशनी तीन साल पहले चली गई थी. दाहिनी आंख के ऑपरेशन के बाद अब शोभा नेगी एक बार फिर दुनिया देख सकती हैं.

शोभा नेगी की आंखों के इलाज के लिए परिवार ने दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला, पालमपुर तक कई बड़े अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन हर जगह डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे. डॉक्टरों ने इतना तक कह दिया था कि अब इनकी आंखों की रोशनी कभी लौटकर नहीं आएगी. हर जगह से हारकर परिवार रिकांगपिओ अस्पताल के नेत्र चिकित्सक अविनाश नेगी के पास गया. जांच के बाद डॉ. अविनाश ने शोभा नेगी का ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी दी है.

शोभा नेगी के पिता दिवा बहादुर ने कहा कि डॉ. अविनाश नेगी एक भगवान का रूप बनकर आये हैं. उन्होंने बेटी के जीवन में अंधकार से उजाला ला कर नया जीवनदान दिया है. पहले उन्हें बेटी के साथ हमेशा एक व्यक्ति देखभाल के लिए रखना पड़ता था, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी बेटी 3 मीटर की दूरी तक देख सकती है. अब उन्हें किसी की सहायता की जरूरत नहीं है. शोभा नेगी आंखों की रोशनी मिलने पर बहुत खुश है. उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है.

डॉ. अविनाश नेगी ने कहा कि शोभा नेगी की दाहिने आंख का ऑप्रेशन 3 सितंबर को हुआ था, जबकि इनका बाईं आंख भी काफी साल पहले खराब हो चुकी थी. इस कारण दोनों आंखों से देखना बंद था. अब दाहिनी आंख का ऑपरेशन होने से 3 मीटर तक देख पा रही हैं.

बता दें कि किन्नौर में अत्यंत आंखों के इलाज की आधुनिक फेको मशीन लगाई गई है. किन्नौर के मुख्य चिकित्सक अधिकारी डॉ सोनम नेगी ने कहा कि जिला अस्पताल रिकॉपिओ में एक ‘हीरा’ डॉक्टर आया हुआ है जो पीजीआई चंडीगढ़ से रिटर्न है. हमारा लक्ष्य अगले साल तक किन्नौर में अंधपन को खत्म करना है. ताकी किन्नौर को जीरो अंधापन का खिताब प्राप्त हो सके.

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