शिमला:सालभर की चर्चाओं के बाद मंगलवार को हिमाचल में सुखविंदर सुक्खू कैबिनेट का विस्तार हो गया. दो नए मंत्रियों के रूप में यादविंद्र गोमा और राजेश धर्माणी को राज्यपाल ने शपथ दिलाई. इसके साथ ही टीम सुक्खू में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को मिलाकर 11 मंत्री हो गए हैं. टीम सुक्खू में जगह बनाने के लिए साल भर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. जातिगत, जिला और ना जाने किस-किस समीकरण के आधार पर कई नाम रेस में बने और पिछड़ते रहे. इन दोनों नए मंत्रियों में एक कॉमन चीज है जो दिलचस्प भी है, उसके बारे में बताएंगे लेकिन सबसे पहले चर्चा इस बात की करना जरूरी है कि कई बड़े नाम और चेहरों को छोड़ सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी टीम में राजेश धर्माणी और यादविंद्र गोमा को क्यों जगह दी.
कैबिनेट में यादविंद्र गोमा क्यों - यादविंद्र गोमा प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा से ताल्लुक रखते हैं. हिमाचल में सरकार बनाने में कांगड़ा जिले की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. इस बार जिले की 15 में से 11 सीटें कांग्रेस को मिली थी. लेकिन कई लोग सोच रहे होंगे कि कांगड़ा के बड़े-बड़े चेहरों को पछाड़कर गोमा कैसे मंत्रीपद की रेस जीत गए.
कांगड़ा जिले की जयसिंह पुर सीट से दूसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं. जिले में वो पार्टी का दलित चेहरा हैं और ख़बर है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चाहते थे कि कैबिनेट में दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. ऐसे में गोमा को कैबिनेट में चुनकर सुक्खू ने एक पंथ दो काज किए हैं. दलित चेहरे के अलावा कांगड़ा जिले की हिस्सेदारी को कैबिनेट में बढ़ा दिया है. अब यादविंद्र गोमा सहित टीम सुक्खू में कांगड़ा से दो मंत्री हो गए हैं. इससे पहले चंद्र कुमार सुक्खू कैबिनेट में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. महज 37 साल के यादविंद्र गोमा एक युवा चेहरे के रूप में भी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं.
4 फरवरी 1986 को जन्मे यादविंद्र गोमा ने बी.टेक और एमबीए की पढ़ाई किया है. 2012 के बाद 2022 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. उनके पिता मिल्खी राम गोमा भी तीन बार विधायक रहे. हिमाचल कांग्रेस के एससी सेल के अध्यक्ष के अलावा वो जयसिंह पुर के यूथ कांग्रेस और राज्य में राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के महासचिव जैसी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. लेकिन अब उन्हें मंत्री के रूप में अपने पॉलिटिकल करियर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिली है.