शिमला:हिमाचल प्रदेश में सर्दियों में पैरालिसिस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. पैरालिसिस एक नर्व डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं और काम करना बंद कर देती है. शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में इन दिनों रोजाना 20 से 25 पैरालिसिस के मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. इसमें 2 फीसदी युवा भी शामिल हैं.
धूम्रपान और ठंड से बढ़ रहे पैरालिसिस मामले: सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाणा के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश पठानिया के अनुसार खून की क्लॉटिंग होने या ज्यादा धूम्रपान करने से पैरालिसिस की संभावना बढ़ जाती हैं. युवाओं को भी आज के दौर में पैरालिसिस हो रहा है. इसका मुख्य कारण ज्यादा धूम्रपान करना और हादसा होने से खून की क्लॉटिंग होना है. सर्दियों में ठंड होने से खून जमने का ज्यादा खतरा बना रहता है. अस्पताल में पैरालिसिस के मामले ज्यादातर लोगों में विटामिन की कमी, धूम्रपान, हार्ट प्रॉब्लम और ब्लड प्रेशर के कारण होती है. ठंड के मौसम में पैरालिसिस के मामले तेजी से बढ़ते हैं. ऐसे में लोगों को सर्दियों में खास ख्याल रखने की जरूरत है.
क्या होता है पैरालिसिस? यह एक वायु रोग होता है. पैरालिसिस एक नर्व डिसऑर्डर है. इसमें मांसपेशियों की कार्यविधि प्रभावित हो जाती है. इस हालत में शरीर के किसी एक भाग की मांसपेशियां काम नहीं करती हैं. यह स्थिति तब आती है जब मस्तिष्क मांसपेशियों को एक्टिव करने में असमर्थ होता है.
पैरालिसिस के 5 प्रकार:पैरालिसिस एक गंभीर रोग है. इसके मुख्यतः पांच प्रकार हैं. पहला मोनोप्लेजिया पैरालिसिस, इसमें शरीर का कोई भी एक अंग प्रभावित होता है. दूसरा हेमिप्लेजिया पैरालिसिस, जिसमें शरीर का एक हिस्सा प्रभावित होता है. इसमें शरीर के एक हिस्से का हाथ, पैर, पेट, कंधा और सीना प्रभावित हो सकता है. तीसरा पैराप्लेजिया पैरालिसिस, इसमें शरीर का निचला हिस्सा प्रभावित होता है और काम करना बंद कर देता है. चौथा कार्डियोप्लेजिया पैरालिसिस है. इस स्थिति में शरीर की चारों भुजा यानी दोनों बाहें और पैर प्रभावित होते हैं. पांचवा प्रकार बेल्स पाल्सी है, इसमें चेहरे की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं. जिसके चलते मरीज का मुंह टेढ़ा हो जाता है.