शिमला:प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा कई पेयजल योजनाएं बनाई गई हैं, जिसके तहत हर घर को नल दिए जाने का प्रावधान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी यही कहना है कि हर घर को नल मिले और किसी को पीने के पानी की समस्या न हो, लेकिन ईटीवी भारत ने जब जमीनी स्तर पर सच्चाई जानने के लिए राजधानी के खंड मशोबरा के गांव में पड़ताल की तो सच्चाई हैरान कर देने वाली थी.
बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग
लोगों के लिए जहां कागजों में कल्याण कारी योजना चल रही है, वहीं मशोबरा के तहत गांव चेवन, पंजोग, धार में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. इन परिवारों के घरों में बीते 15 दिन से एक बूंद पानी नहीं आया. मजबूरन परिवार को कोसों दूर से बर्तनों में पानी भरकर पीने के लिए लाना पड़ता है. मशोबरा के इन गांवों में पानी न मिलने का एक कारण यह भी है कि आईपीएच विभाग द्वारा गांव के लिए पानी का कोई टैंक नही बनाया गया है. पानी की सप्लाई के लिए गांव के लोगों के लिए 12 नल लगाए गए हैं, लेकिन अवैध रूप से 21 नल चल रहे हैं, जिसमें कुछ अन्य लोगों द्वारा मेन पाइप में अपनी निजी चाबी लगा दी गई है, जिससे इन परिवारों को पानी नहीं मिल पा रहा.
कुछ घरों के नल सूखे, कुछ में पानी की बहार
पीड़ित परिवारों ने अपनी शिकायत अधिकारी से लेकर सीएम हेल्पलाइन पर भी की, लेकिन आईपीएच द्वारा सीएम हेल्पलाइन को गुमराह कर जवाब दिया गया. ईटीवी भारत ने जब पानी से वंचित रह रहे परिवारों से बात की तो उनका कहना था कि उन्हें पानी की बहुत दिक्कत है. पानी 10 दिनों से नहीं है, जबकि उनके गांव के अन्य लोगों को पानी पूरा मिलता है. उनकी पत्नी गुलाबो देवी का कहना था कि उनके नल में एक बूंद पानी नहीं आता है. उन्हें पानी के लिए बहुत परेशानी हो रही है. गांव के युवक पूर्ण ने बताया कि गांव में वितरण प्रणाली सही ना होने के कारण पानी नही मिल रहा है. उनका कहना था कि गरीबों के लिए 1 घंटे पानी दिया जाता है चाहे नल में पानी आए या न आए जबकि दूसरे लोगों के नल में 3 घंटे तक पानी चला रहता है.
शिकायत के बावजूद नहीं हो रहा समाधान
मामले में विभाग और सरकार तक शिकायत की गई लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला. इस मुद्दे पर समाजिक कार्यकर्ता रवि कुमार का कहना है की यह लोगों के साथ अत्याचार है कि गर्मी के दिनों में गरीब परिवारों को पानी के लिए तरसाया जाए. उनका कहना था कि अगर आने वाले दिनों में गांव में पानी की समस्या का समाधान नही किया गया तो वह जल विभाग कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे. सरकार गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए विभिन्न योजना चला रही है, जबकि हकीकत में राजधानी के समीप गांव ही पानी के लिए तरस रहा है और यहां एक भी योजना नहीं पहुंच पाई है. पानी के न होने से खेत भी सूखते जा रहें.
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