शिमला: गांधी जी के शब्दों में कहें तो सच्चा लोकतंत्र सरकार मे बैठकर देश चलाने से नहीं होता, ब्लकि ये गांव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है. मतलब की लोकतांत्र में सत्ता को एक हाथ में सौंपने की बजाय सत्ता की शक्ति को अलग-अलग हाथों में बांट दिया जाए, ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी हो सके और वो अपने हित और आवश्यकताओं के अनुसार शासन चालने में अपना योगदान दे सके.
लोकतंत्र के ढांचे को सशक्त बनाने और शाक्तियों के विकेंद्रीकरण के लिए ही भारत में पंचायती राज की व्यवस्था की गई. ये उम्मीद थी कि ग्राम पंचायतें स्थानीय जरुरतों के अनुसार योजनाएं बनाएंगी और उन्हें लागू करेगी. इसी मकसद से 1992 में 73वें संवैधानिक संशोधन के जरिए पंचायती राज व्यवस्था को अपनाया गया. पंचायती राज व्यवस्था थ्री टियर सिस्टम को लागू किया गया.
क्या है थ्री टियर सिस्टम
पंचायत व्यवस्था में थ्री टियर यानी की त्रि स्तरीय प्रणाली है. ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर बीडीसी यानी ब्लॉक समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद. इनमे सबसे मजबूत ग्राम पंचायत ही है. बीडीसी और जिला परिषद के सदस्यों का चुनाव भी प्रत्यक्ष मतदान के जरिए होता है. चुनाव से पहले सरकार रोस्टर जारी करती है. रोस्टर में तय होता है कि कौन सी सीट एससी/एसटी वर्ग या महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. चुनकर आए जिला परिषद और बीडीसी सदस्य पंचायत सदस्य के साथ समन्वय बनाकर काम करते हैं.
एक पंचायत में कई गांव शामिल होते हैं, जबकि दो का एक बीडीसी सदस्य होता है. कई जगह पर एक अकेली पंचायत से भी बीडीसी सदस्य का चुनाव होता है. ऐसे ही कई पंचायतों को मिलाकर एक जिला परिषद सदस्य चुना जाता है.