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बिजली प्रोजेक्ट्स में अपने हक के लिए डटी सुखविंदर सरकार, ज्यादा रॉयल्टी की लड़ाई में सफलता के आसार - सुखविंदर सरकार

हिमाचल को अब आने वाले समय में आर्थिक मोर्चे पर राहत मिलने वाली है. बिजली प्रोजेक्ट्स में राज्य सरकार को यदि 12 फीसदी रॉयल्टी मिलना शुरू हो गई तो सालाना कई करोड़ रुपये राजस्व बढ़ेगा. बता दें कि अभी इन केंद्रीय उपक्रमों के बिजली प्रोजेक्ट्स से चार फीसदी ही रॉयल्टी मिल रही है. पढ़ें पूरी खबर..

Sukhu government likely to get more royalty in power projects
बिजली प्रोजेक्ट्स में अपने हक के लिए डटी सुखविंदर सरकार

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 7, 2024, 1:00 PM IST

शिमला: सुखविंदर सिंह सरकार बिजली प्रोजेक्ट्स में अधिक रॉयल्टी के अपने हक के लिए डट गई है. सरकार को इस मोर्चे पर सफलता मिलती भी दिख रही है. इस संदर्भ में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ दिल्ली में हुई बैठक हिमाचल के लिए सुख के संकेत लेकर आई है. मीटिंग में हुई चर्चा के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह इस बात के लिए राजी थे कि हिमाचल को सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) और नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी) के तहत आने वाले बिजली प्रोजेक्ट्स में 12 प्रतिशत न्यूनतम रॉयल्टी मिलनी चाहिए.

केंद्र की तरफ से इस तरह का इशारा मिलते ही हिमाचल को अब आने वाले समय में आर्थिक मोर्चे पर राहत मिलेगी. राज्य सरकार को यदि 12 फीसदी रॉयल्टी मिलना शुरू हो गई तो सालाना कई करोड़ रुपए राजस्व बढ़ेगा. सूत्रों के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की सहमति के बाद सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी रॉयल्टी के मुद्दे पर 20 जनवरी से पहले कोई न कोई फैसला ले लेगी. उल्लेखनीय है कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी एक इंडिपेंडेंट बॉडी है और वो गुण-दोष के आधार पर फैसला लेती है. अब अथॉरिटी राज्य सरकार और एसजेवीएन और एनएचपीसी के तहत स्थापित बिजली प्रोजेक्ट्स में इनके प्रबंधन का पक्ष सुनेगी. राज्य सरकार चाहती है कि उसे 12 फीसदी रॉयल्टी मिले. अभी इन केंद्रीय उपक्रमों के बिजली प्रोजेक्ट्स से चार फीसदी रॉयल्टी मिल रही है.

गौरतलब है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से मिले थे. सीएम ने एसजेवीएनएल व एनएचपीसी की तरफ से स्थापित परियोजनाओं में कम रॉयल्टी का मसला केंद्रीय मंत्री से उठाया था. सीएम ने कहा था कि राज्य सरकार की नई नीतियों के तहत चालीस साल बाद ये प्रोजेक्ट राज्य को मिलना चाहिए. केंद्र सरकार की तरफ से मिले सकारात्मक संकेतों के बाद राज्य सरकार इस रॉयल्टी के मामले में अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए पांच अफसरों की टीम तैयार करेगी. इसमें पावर प्रोजेक्ट्स एक्सपर्ट अफसर भी होंगे. राज्य सरकार सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के समक्ष ये पक्ष भी मजबूती से रखेगी कि चालीस साल बाद ये प्रोजेक्ट राज्य को वापस मिलना चाहिए.

एसजेवीएनएल को मिले हैं तीन प्रोजेक्ट, मामला हाईकोर्ट में:हिमाचल में पूर्व भाजपा सरकार के समय एसजेवीएनएल को सुन्नी, लूहरी व धौलासिद्ध हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स का आवंटन किया गया था. पूर्व सरकार में इन प्रोजेक्ट्स को चार फीसदी रॉयल्टी पर सेंक्शन कर दिया गया था. वर्तमान में सुखविंदर सिंह सरकार ने इस मामले में एसजेवीएनएल से प्रोजेक्ट्स को टेकओवर करना चाहती है. राज्य सरकार की सख्ती को देखते हुए एसजेवीएनएल ने हाईकोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार को एसजेवीएन पर सख्ती न करने के निर्देश दिए हुए हैं. हाल ही में हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सतलुज जल विद्युत निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले के हाईकोर्ट में लंबित रहते हुए भी हिमाचल सरकार केंद्र की सरकार के तीन उपक्रमों को टेकओवर करने की तैयारी में है.

तीन प्रोजेक्ट्स को टेकओवर करने की चेतावनी:प्रदेश सरकार ने 20 दिसंबर 2023 को एक पत्र जारी कर एसजेवीएनल को 15 दिनों के भीतर रिवाइज की गई रॉयल्टी पर अपनी सहमति न देने की सूरत में एसजेवीएनएल के सुन्नी, लुहरी और धौलासिद्ध पावर प्रोजेक्ट्स को टेकओवर करने की चेतावनी दी थी. प्रदेश सरकार का कहना है कि उसने बिजली प्रोजेक्ट्स में अपनी रॉयल्टी को 12, 18 और 30 प्रतिशत से बढ़ाकर क्रमश: 20, 30 और 40 प्रतिशत करने का फैसला लिया है. वहीं, एसजेवीएन को दिए गए प्रोजेक्टों से पांच फीसदी रॉयल्टी भी नहीं आ रही है. एसजेवीएन ने प्रदेश सरकार से यह प्रोजेक्ट तो ले लिए थे, लेकिन आज तक इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट साइन नहीं किया. इसलिए अब कंपनी को प्रदेश सरकार की नई शर्तों के अनुसार एग्रीमेंट करना पड़ेगा. कंपनी नई शर्तों से सहमत नहीं है. यही कारण है कि उसने हाईकोर्ट का रुख किया हुआ है. इसी बीच, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात में अपनी सरकार का पक्ष रखा है. सीएम सुखविंदर सिंह का कहना है कि राज्य सरकार अपने हक को नहीं छोड़ सकती. बिजली प्रोजेक्ट्स हिमाचल की धरती व संसाधनों के जरिए ही सफल होते हैं. ऐसे में इन परियोजनाओं से राज्य को उसका जायज हक मिलनी ही चाहिए.

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