शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हिमाचल को वर्ष 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट का लक्ष्य तय किया है. इसी कड़ी में सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दे रही है. हिमाचल का परिवहन विभाग राज्य का पहला ऐसा महकमा है, जिसे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक व्हीकल डिपार्टमेंट में बदला गया है. यही नहीं, राज्य परिवहन विभाग अपने आप में पूरी तरह से ई-वाहन पर शिफ्ट होने वाला देश का पहला सरकारी विभाग भी है. इस समय परिवहन विभाग में 19 इलेक्ट्रिक वाहन चल रहे हैं. इसके जरिए बीते नौ महीने में अस्सी लाख रुपए के पेट्रो पदार्थ की बचत हुई है. इस बचत में रखरखाव में होने वाले खर्च को रकम भी शामिल है.
उल्लेखनीय है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसी साल फरवरी महीने में शिमला से 11 इलेक्ट्रिक वाहनों के बेड़े को हरी झंडी दिखाई थी. ये वाहन परिवहन विभाग के अफसरों व जांच दस्ते को दी गई थी. ई-वाहन होने के कारण इन गाड़ियों में पेट्रोल व डीजल की जरूरत नहीं, लिहाजा इससे ईंधन व रखरखाव के अस्सी लाख रुपए की बचत हुई है. राज्य सरकार दो वर्ष के भीतर सरकारी बेड़े में तीन सौ ई-बसें और जोड़ने वाली है.
फिलहाल, विभाग के पास इस समय 19 ई-गाड़ियां हैं. इनमें टाटा टियागो और हुंडई कंपनी की कारें शामिल हैं. इन गाड़ियों की चार्जिंग आदि पर महज 90 पैसे प्रति किलोमीटर खर्च आ रहा है. वाहन एक घंटे के भीतर चार्ज हो जाते हैं. एक बार पूरी तरह से चार्ज होने के बाद एक वाहन कम से कम ढाई सौ किलोमीटर का सफर तय कर लेता है.
बड़ी बात ये है कि गाड़ी के रखरखाव का खर्च भी न के बराबर है. सिर्फ टायर बदलने का खर्च है और वो खर्च भी लंबे समय बाद आता है. पूर्व की जयराम सरकार के समय मुख्यमंत्री के लिए इलेक्ट्रिक वाहन का इंतजाम किया गया था. इस वाहन का इस्तेमाल भी अक्सर किया जाता है. खुद परिवहन निदेशालय के निदेशक आईएएस अनुपम कश्यप भी ई-वाहन में सफर करते हैं. उनका कहना है कि विभाग में ई-वाहन का प्रयोग आशातीत रूप से सफल रहा है.