शिमला/ठियोग: उपमंडल ठियोग के कोटखाई में एक तरफ कारोना का डर है और दूसरी तरफ बच्चों के भविष्य की फिक्र अभिभावकों को सता रही है. कोरोना काल में भले ही सरकार ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चों को पढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी प्रदेश में ऐसे कई इलाके हैं जहां तक नेटवर्क की सुविधा ही नहीं है. इस वजह से बच्चों को पढ़ाई में दिक्कतें पेश आ रही हैं और बच्चों को अब जंगलों में जाकर पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
घर में बच्चों को सता रही नेटवर्क की समस्या
कारोना का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों पर है. ऐसे में सरकार ने बच्चों को लेकर कड़े नियम बनाए हैं, ताकि बच्चे सुरक्षित रह सकें, लेकिन बच्चों के अभिभावक अब इस दुविधा में हैं कि बच्चों को घर में सुरक्षित रखें या फिर उनके भविष्य के बारे में सोचें. इन्ही बातों से परेशान कोटखाई के ग्राम पंचायत ग्राउग में लोगों को एक तरफ तो सरकार के फरमानों का डर सता रहा है. वहीं, दूसरी तरफ स्कूलों के फरमानों का. अभिभावकों का कहना है कि इसी उलझन में दो साल बीत रहे हैं कि बच्चों को कैसे बीमारी से बचाएं और कैसे पढ़ाएं.
ऑनलाइन पढ़ाई में हो रही परेशान
ऑनलाइन पढ़ाई ने पंचायत के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. उनका कहना है कि वे सरकार की मानें या स्कूलों की. सरकार और स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश दिए हैं, लेकिन पंचायत में इंटरनेट नहीं चल रहा है, जिसके कारण जान जोखिम में डाल पंचायत के लोग घर से बाहर दो से तीन किलोमीटर दूर जंगलों में डेरा डाले रहते हैं, ताकि वहां सिग्नल मिल सके. पूरा दिन सिग्नल ढूंढते और आपस में दूरी कैसे रखें, सबको मिलकर एक जगह बैठना मजबूरी है. लोगों का कहना है कि दो साल से जीना दुश्वार हो गया है. घर में सिग्नल नहीं है जिसके चलते जंगलों में रहना पड़ता है और अगर न निकलें तो स्कूल के टीचर बच्चों को डांटते हैं कि पढ़ाई क्यों नहीं करते. क्लास क्यों नहीं लगाते जिसके चलते ऐसी आफत में पूरी पंचायत के लोग सिग्नल वाली जगह पहुंच जाते हैं और बारी बारी अपने बच्चों को पढ़ाते हैं.