शिमला: प्रदेश के कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टरों को इंटर्नशिप के दौरान 22 हजार रुपये दिए जाते हैं, लेकिन विदेश से एमबीबीएस करके प्रदेश में आए छात्रों को इंटर्नशिप के अनिवार्य 1 वर्ष के कार्यकाल में कोई सर्टिफिकेट तक नहीं दिया जा रहा, जो कि विदेशों से पढ़ाई कर के आए छात्रों के साथ नाइंसाफी है.
प्रदेश के वह छात्र जो एमबीबीएस तो विदेश से करके आते हैं, लेकिन इंटर्नशिप कोरोना काल में प्रदेश में ही कर रहे हैं. ऐसे छात्र-छात्राओं के साथ सरकार द्वारा पक्षपात किया जा रहा है. यह बात आईजीएमसी में इंटर्नशिप कर रहे छात्रों ने कही.
सरकार द्वारा उन्हें कोई भी स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा
छात्रों का कहना है कि सरकार द्वारा ऐसा करना मौलिक अधिकारों का हनन भी है. एक तरफ जहां प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में इंटर्न की भारी कमी है, तो वहीं, फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स इंटर्नस कोविड काल में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन और सरकार द्वारा उन्हें कोई भी स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा, जबकि कोरोना काल में उनकी ड्यूटी भी कोविड वार्ड में लगाई जा रही है.
20 इंटर्न दे रहे आईजीएमसी में ड्यूटी
आईजीएमसी में विदेश से एमबीबीएस करने वाले और इंटर्नशिप प्रदेश में ही करने वाले ऐसे 20 छात्र हैं. छात्रों का कहना है कि उन्हें किसी भी तरह का स्टाइपेंड कोविड में नहीं दिया जा रहा, जो कि उनके अधिकारों का हनन है. उन्हें भी अन्य छात्रों की तरह इंटर्नशिप के दौरान राहत मिलनी चाहिए. छात्रों ने सीएम जयराम ठाकुर से मांग की है कि उनकी इस समस्या का जल्द ही निपटारा किया जाए.
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