रामपुर/शिमला:दुनिया की सबसे दुर्गम यात्राओं में से एक हिमालय की गोद में 18570 फीट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र स्थल श्रीखंड महादेव की यात्रा इस वर्ष नहीं होगी. श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं एसडीएम आनी चेतन सिंह ने बताया कि इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते यात्रा पर रोक लगा दी गई है. यात्रा से पहले भक्तों के दर्शनों के लिए जून अखाड़ा में निरमंड से माता अंबिका की छड़ी यात्रा निकाली जाती थी, उस पर भी रोक लग गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है. यह यात्रा 15 जुलाई को शुरू होती है,जिसमें देश-विदेश से दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु आते है. उन्होंने सभी लोगों से नियमों के पालन करने की अपील की है. उन्होंने बताया कि कोई भी श्रद्धालु चोरी-छिपे जाने का प्रयास न करें. रास्ते में जगह-जगह पुलिस की तैनाती की गई है.
बता दें कि हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है. यह जिला कुल्लू के आनी में पड़ता है, लेकिन रामपुर के बाद निरमंड से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है. निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई है. यहां पहुंचने के लिए पैदल जाना पड़ता है. दुनिया की सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं में से एक होने के बाद भी श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.
- अमरनाथ यात्रा से भी कठिन श्रीखंड महादेव की यात्रा
कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन धार्मिक यात्रा मानी जाती है. उसके बाद भारत में अमरनाथ यात्रा को सबसे मुश्किल माना जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से ज्यादा कठिन है. अमरनाथ यात्रा में लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई पर जाना पड़ता है. वहीं, श्रीखंड महादेव के दर्शनों के लिए भक्तों को 18,570 फीट की ऊंचाई पर चढ़ना पड़ता है और यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद मुश्किल है.
- भस्मासुर के किया था भस्म
श्रीखंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा. राक्षस भाव से उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली और भस्मापुर ने भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्हें भस्म करना चाहा, लेकिन भगवान विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया. नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर हाथ रख लिया और वह खुद ही भस्म हो गया. इसके चलते आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं.
- श्रद्धालुओं का होता है मेडिकल चेकअप