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विश्व पर्यावरण दिवस: हिमाचली वन क्षेत्र में लगातार विस्तार, सैकड़ों वर्ग किमी बढ़ी हरियाली

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी है. इस अवसर पर सीएम जयराम ने जैव विविधता को संरक्षित करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि जैव विविधता में संतुलन बनने से मानव जीवन सुरक्षित रहेगा.

World Environment Day
विश्व पर्यावरण दिवस

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Published : Jun 5, 2020, 12:43 PM IST

शिमला: पूरे विश्व में हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मकसद लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है. साथ ही इस दिवस पर लोगों को पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया जाता है.

विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं. इस अवसर पर सीएम जयराम ने जैव विविधता को संरक्षित करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि जैव विविधता में संतुलन बनने से मानव जीवन सुरक्षित रहेगा.

सीएम ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाली संस्थाओं व स्वयंसेवियों को पर्यावरण उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित करती है. इस साल भी करीब 15 संस्थाओं को ये सम्मान दिया जा रहा है.

प्रदेश के फॉरेस्ट कवर एरिया में लगातार हो रही बढ़ोतरी

विश्व पर्यावरण दिवस पर अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो ग्रीन कवर के लिए देश-विदेश में विख्यात हिमाचल प्रदेश के फॉरेस्ट कवर एरिया में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. प्रदेश के क्षेत्रफल का 66 फीसदी से अधिक क्षेत्र वनों से ढंका है.

प्रदेश के फॉरेस्ट कवर एरिया में लगातार हो रही बढ़ोतरी.

इंडियन स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार राज्य के फॉरेस्ट कवर एरिया में 333.52 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, दक्षिण भारत के राज्यों के मुकाबले ये बढ़ोतरी अपेक्षाकृत कम है, लेकिन हिमाचल का पहले ही ग्रीन कवर एरिया उल्लेखनीय है.

पौधरोपण कार्यक्रमों के कारण बढ़ा फॉरेस्ट कवर एरिया

फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2015 से फरवरी 2019 के दौरान हिमाचल प्रदेश में 959.63 हेक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कार्यों के लिए परिवर्तित किया गया. प्रदेश सरकार के एक बूटा बेटी के नाम जैसे कार्यक्रम उल्लेखनीय हैं.

वर्ष 2017 की रिपोर्ट के मुकाबले राज्य में वनाच्छादित क्षेत्र में 333.52 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ है. वनाच्छादित क्षेत्र बढ़ने की वजह प्रदेश सरकार के वन विभाग के सघन पौधरोपण कार्यक्रम को माना गया है.

प्रदेश में 33,130 वर्ग किमी संरक्षित फॉरेस्ट

गौरतलब है कि हिमाचल में 2017-18 में कैंपा सहित 9725 हेक्टेयर भूभाग में पौधरोपण किया गया. वर्ष 2019 में वन विभाग ने जनता, सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के सहयोग से 25 लाख 34 हजार से अधिक पौधों को रोपा.

विश्व पर्यावरण दिवस.

रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में फॉरेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किमी है. इसमें से 1898 वर्ग किमी रिजर्व फॉरेस्ट है. इसके अलावा 33,130 वर्ग किमी संरक्षित व 2005 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन क्षेत्र है.राज्य में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 संरक्षण क्षेत्र हैं. इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित रखा गया है.

प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 प्रजातियां

रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2017 में राज्य में फॉरेस्ट कवर 15433.52 वर्ग किमी था. यह राज्य के क्षेत्रफल का 27.72 फीसदी है. रिकार्डड फॉरेस्ट एरिया 37033 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66.52 फीसदी है.

प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 प्रजातियां मौजूद हैं. औषधीय प्रजातियों के 109 व 99 प्रजातियों की झाड़ियां अथवा छोटे पेड़ हैं. फॉरेस्ट फायर यानी जंगल की आग को देखते हुए प्रदेश के जंगलों का 4.6 फीसदी हिस्सा अति संवेदनशील है.

विश्व बैंक से कार्बन क्रेडिट के तौर पर मिल चुका है इनाम

बता दें कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट हासिल हुआ है. कार्बन को कम करके ऑक्सीजन को बढ़ाने में हिमाचल के योगदान पर विश्व बैंक से हिमाचल को कार्बन क्रेडिट के तौर पर इनाम मिल चुका है. हिमाचल में ग्रीन फैलिंग यानी हरे पेड़ों को काटने पर रोक है. यहां कई जंगल ऐसे हैं, जिनका स्वामित्व देवताओं के पास है और वहां से एक टहनी भी नहीं काटी जा सकती.

प्रदेश में हरित आवरण 27 फीसद है. इसे 33 फीसद तक ही बढ़ाया जा सकता है. इससे ज्यादा नहीं. प्रदेश सरकार लगातार इस दिशा में पहल कर रही है.

विश्व पर्यावरण दिवस.

प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है. इसलिए लोगों का समझना जरूरी है कि हमारे लिए पेड़-पौधे, जंगल, नदियां, झीलें, जमीन, पहाड़ कितने जरूरी हैं.

हिमाचल के पर्यावरण पर लॉकडाउन का असर

वैसे तो हिमाचल की आबोहवा देश के अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा साफ है, तो पर्यटक भी आम दिनों में इस पहाड़ी राज्य का रूख करते रहते हैं, लेकिन कोरोना काल में देश के साथ-साथ हिमाचल में भी लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण में काफी बदलाव देखने को मिले.

लॉकडाउन में शहरों से लेकर गांवों तक की आबोहवा बदल गई. नदी-नालों का पानी एकदम साफ हो गया. हवा में प्रदुषण की मात्रा में भी काफी कमी आई है. खासकर राज्य के बद्दी जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ.

कब मनाया गया था पहला पर्यावरण दिवस?

बता दें कि पर्यावरण दिवस को मनाने का फैसला 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद लिया गया, जिसके बाद 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था.

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