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छात्रों को मौत के मुंह में धकेल रहा एग्जाम का स्ट्रेस, सबसे चौंकाने वाले हैं यहां के आंकड़े - board exam in himachal pradesh

परीक्षा के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं. वैसे-वैसे छात्र-छात्राओं का तनाव बढ़ता जा रहा है. कई बार एग्जाम का स्ट्रेस इतना ज्यादा हावी हो जाता है कि छात्र फेल होने के डर से मौत को गले लगा लेते हैं.

exam stress pushing children to death
छात्रों को मौत के मुंह में धकेल रहा एग्जाम का स्ट्रेस

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Published : Feb 12, 2020, 2:45 PM IST

शिमला: CBSE 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं. ये एक ऐसा समय होता है, जब छात्र सबसे ज्यादा टेंशन में रहते हैं. बच्चे ज्यादा से ज्यादा अंक हासिल करना चाहते हैं. पढ़ाई, करियर और पैरेंट्स की अपेक्षाओं की वजह से इतने दबाव में होते हैं कि उन्हें आगे का रास्ता दिखाई नहीं देता. इसी वजह से वो कई बार सुसाइड का रास्ता चुन लेते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

देश में हर घंटे एक छात्र मौत को गले लगाता है. ये आंकड़ा केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में दिए गए एक प्रश्न के जवाब में सामने आया है. 2018 में राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने एक सवाल के जवाब में बताया कि...

  • साल 2014-16 के बीच 26,476 छात्रों ने सुसाइड किया
  • 2016 में 9,474, साल 2015 में 8,934 छात्रों ने जान दी
  • जबकि 2014 में 8,068 छात्रों ने आत्महत्या की
  • 2016 में देशभर में 9,474 छात्रों ने आत्महत्या की
  • यानी प्रति 55 मिनट एक छात्र खुद को खत्म कर रहा है.
  • सबसे ज्यादा एमपी में छात्र जिंदगी से हार मान रहे हैं.
  • यहां लगातार 3 साल में 2,658 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया

विद्यार्थियों पर पड़ने वाला तीन तरह का दबाव उन्हें आत्महत्या की तरफ ले जा रहा है. कि अगर सफल नहीं हुए तो मित्र मंडली क्या कहेगी, अभिभावक क्या सोचेंगे और करियर तो बीच में ही रह गया. इस बात से पैदा होने वाला तनाव रोजाना औसतन 26 छात्रों की जान ले रहा है. 2007 से 2016 के बीच भारत में लगभग 75,000 छात्रों ने आत्महत्या की.

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