शिमला: शिमला के शिव मंदिर हादसे में अपने मां-बाप को हमेशा के लिए खोकर एक बिटिया जीवन के युद्ध में अकेले रह गई. शिव मंदिर में अकाल मौत के ग्रास बनने वालों में एडवोकेट हरीश वर्मा और उनकी पत्नी डॉ. मानसी भी थीं. दोनों अपनी लाडली को फोन देकर मंदिर गए थे और कहा था कि वे जल्द वापस आएंगे, लेकिन बिटिया को क्या मालूम था कि वे अब कभी लौटकर नहीं आएंगे.
मलबे में दबे माता-पिता: एडवोकेट हरीश वर्मा हाईकोर्ट में वकील थे और उनकी पत्नी डॉ. मानसी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं. डॉ. मानसी और हरीश वर्मा सुबह मंदिर पूजा के लिए गए थे. घर से निकलने से पहले हरीश वर्मा ने अपनी 12 साल की बिटिया को फोन देकर कहा था कि वे मंदिर से भोले बाबा की खीर लेकर जल्दी वापस आएंगे, लेकिन वे ऐसे गए कि फिर जिंदा लौटकर नहीं आए. मासूम सिर्फ उनके शव ही देख पाई.
डॉ. मानसी थी प्रेग्नेंट: बताया जा रहा है कि डॉ. मानसी प्रेग्नेंट थी और पोस्टमार्टम करने पर पता चला कि इस हादसे में उनका फीटस कहीं दूर छिटक गया. डॉ. मानसी और हरीश वर्मा की 12 साल की बिटिया अब अपनी दादी और ताया के सहारे है. अपने मम्मी-पापा खोने का जो जख्म मासूम को मिला है वो शायद ही कभी भर पाए.