शिमला:राजधानी शिमला में बने एडवांस स्टडी के भवन को भी अब खतरा पैदा हो गया है. एक तरफ यहां बादल फटने के बाद शिव मंदिर तक मलबा पहुंचा और 21 लोगों को अपने साथ ले गया. दूसरी तरफ जहां पर एडवांस्ड स्टडी की एंट्री का गेट है, वहां पर भी जमीन एक मीटर के लगभग धंस गई है. एडवांस स्टडी के भवन को बचाने के लिए इसके अधिकारियों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से लेकर जिला प्रशासन, नगर निगम शिमला और जिला पुलिस शिमला को पत्र लिखा है. इसमें साफ कहा है कि इस भवन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. इसको बचाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
हालांकि अभी मूल भवन में कहीं भी कोई ज्यादा बड़ी दरारें नहीं आई हैं. यदि इसके आगे वाले हिस्से मलबा गिरना शुरू हुआ तो आने वाले दिनों में इसके मूल भवन को भी खतरा पैदा होने की आशंका है. इसको बचाने के लिए लीपापोती का काम शुरू कर दिया है. कहीं सीमेंट से लेकर काम किया जा रहा है, तो कहीं दरारों को भरने का काम किया जा रहा है. इस बारिश में लीपापोती किस कदर ऐतिहासिक भवनों को बचाने में सफल रहती है,ये तो आने वाला समय ही तय करेगा. एडवांस स्टडी के प्रवक्ता अखिलेश पाठक ने कहा कि इस मसले को लेकर केंद्रीय मंत्रालय से लेकर स्थानीय प्रशासन को पत्र भेज दिया है. ये पत्र एडवांस स्टडी के सचिव मेहर चंद नेगी की ओर से भेजा गया है.
अंग्रेजी हकूमत के समय में तैयार किया गया था: इस भवन को अंग्रेजों के समय में तैयार किया गया था. इस भवन को बनाने का काम 1884 में शुरू हुआ था, 1888 में से बनाकर तैयार हुआ. अंग्रेजी हुकूमत में यहां पर तेरह वायसराय यहां पर रहे थे. इसके बाद 1947 से लेकर 1965 तक इसे राष्ट्रपति भवन बनाया गया. राष्ट्रपति भवन को 1965 यहां से बदल दिया, इसके बाद ही इस एडवांस स्टडी का नाम दिया गया. यहां पर देशभर के बड़े शोधार्थी आकर शोध करते हैं.
एडवांस स्टडी से ही शिव मंदिर को गया था मलबा: शिव मंदिर में जो कहर बरपा है, इसकी शुरूआत एडवांस्ड स्टडी के भवन के परिसर के पिछती तरफ से ही हुआ था. एडवांस स्टडीज के अधिकारियों का कहना है कि यहां पर बादल फटा और इसके साथ ही डंगे का एक हिस्सा इसके नीते को इसके साथ चला गया. कई पेड़, सड़कें व रास्ते इसके साथ नीचे चलते रहे. वहां रेलवे ट्रैक पर कुछ समय के लिए यह मलवा रुका और चंद लम्हों में रेलवे ट्रैक पर बने पुल को तोड़ते हुए मंदिर में पूजा करते लोगों को अपने साथ ले गया.