शिमलाः हिमाचल प्रदेश में अभी तक गर्मियों ने पूरी तरह से दस्तक नहीं दी है, लेकिन अभी से पानी का संकट खड़ा हो गया है. सर्दियों में जहां प्रदेश में इस बार बर्फबारी कम हुई. वहीं, पिछले 2 महीने में बारिश कम होने से पेयजल परियोजनाएं प्रभावित होने लगी हैं. प्रदेश में सैकड़ों पेयजल योजनाएं सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं. इससे पानी की किल्लत से लोगों को जूझना पड़ रहा है. प्रदेश के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां तीन से चार दिन बाद लोगों को पानी नसीब हो रहा है.
हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी न होने से बागवानी और कृषि पर भी इसका असर पड़ रहा है. बारिश और बर्फर्बारी कम होने से बागवानों को नुकसान की चिंता सता रही है. आने वाले दिनों में भी बारिश कम होने की संभावना है. ऐसे में प्रदेश में इस बार सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. हिमाचल प्रदेश में मार्च महीने में 41.4 मिलीमीटर बारिश हुई है. यह बारिश सामान्य से 62% कम है.
कांगड़ा और हमीरपुर जिले में सबसे कम बारिश
प्रदेश के कई जिलों में बहुत कम बारिश हुई है. खासकर कांगड़ा और हमीरपुर जिला में सबसे कम बारिश हुई है. मार्च महीने में हिमाचल में केवल 13 बार ही बादल बरसे. इसमें पांच बार सामान्य से अधिक बारिश हुई है. इस बार मार्च माह में बारिश कम होने का असर जल स्रोतों और परियोजनाओं पर दिखने लगा है. राज्य में कई पेयजल स्कीमें में बारिश कम होने की वजह से सूख गई है. अधिकतर स्कीमों में पानी का स्तर कम हो गया है. हालात ये हैं कि कई इलाकों में लोग पानी की बूंद बूंद को तरस रहे हैं.
हिमाचल के अधिकतर पहाड़ी इलाके प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन कम बारिश होने से ये स्त्रोत भी सूख चुके हैं. घर पर लगे नलों में पानी की बूंद तक नहीं टपक रही है. ऐसे में लोग कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर ला रहे हैं. इसके अलावा अधिकतर इलाकों में गेहूं की फसल सूखे की मार से लगभग खराब हो चुकी है. खेतों को देखने पर आकाल जैसे हालात लग रहे हैं. आने वाले समय में लोगों को पानी के साथ-साथ खद्यान संकट से भी जूझना पड़ सकता है.
62 फीसदी कम बारिश
मौसम विभाग के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि इस बार मार्च माह में 62 फीसदी कम बारिश हुई है. सिरमौर, ऊना और कांगड़ा में सबसे कम बारिश हुई है. जबकि कुल्लू, लाहौल-स्पीति में सबसे अधिक बारिश हुई है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 5 अप्रैल के बाद बारिश होने की उम्मीद है.