शिमला :हिमाचल प्रदेश में करीब एक साल बाद मंगलवार को कांग्रेस की सरकार का कैबिनेट विस्तार हुआ. दो नए मंत्रियों को टीम सुक्खू में जगह मिली लेकिन इनमें से एक मंत्री राजेश धर्माणी को राज्य सचिवालय में वो कमरा मिला है जिसे 'अपशगुनी' कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इस कमरे में बैठने वाले मंत्रियों का इतिहास तो यही बताता है. कौन सा है वो कमरा और क्या है वो अपशगुन ?
कमरा नंबर 202 का अपशगुन-हिमाचल की राजधानी शिमला में स्थित राज्य सचिवालय की दूसरी मंजिल का ये कमरा अब सुक्खू कैबिनेट के नए मंत्री राजेश धर्माणी का होगा. मंगलवार को शपथ ग्रहण के बाद बुधवार सुबह राजेश धर्माणी ने कमरा नंबर 202 में पूजा पाठ कराया और अपनी कुर्सी संभाली. अब यही कमरा मंत्री के रूप में राजेश धर्माणी का दफ्तर होगा. मौजूदा सरकार में अब तक ये कमरा खाली पड़ा था. दरअसल ये कमरा मंत्रियों के लिए अपशगुन लेकर आत है. ये हम नहीं बल्कि इस कमरे का इतिहास कहता है. मंत्री कितना भी बड़ा और कद्दावर क्यों ना हो, कमरा नंबर 202 में बैठने के बाद अगले चुनाव में उसकी हार हो जाती है.
इस कमरे में बैठने के बाद मंत्री के चुनाव हारने का ये सिलसिला नया नहीं बल्कि पिछले करीब 25 साल से चला आ रहा है. जैसे हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद कोई भी दल सरकार रिपीट नहीं कर पाया है और हर 5 साल में सत्ता बीजेपी और कांग्रेस के पाले में आती-जाती रही है. ठीक वैसे ही साल 1998 से इस कमरे में बैठने वाला मंत्री अगली बार विधायक तक नहीं बन पाया है.
जयराम सरकार के ये मंत्री हारे थे- गौरतलब है कि पूर्व की जयराम सरकार के दौरान कमरा नंबर 202 कैबिनेट मंत्री रामलाल मारकंडा का दफ्तर था. जब उन्हें ये कमरा अलॉट हुआ था तो कमरे से जुड़े अपशगुन या अभिशाप को लेकर हो रही बातों को दरकिनार करते हुए उन्होंने कहा था कि वो इतिहास और इस तरह के अभिशाप पर भरोसा नहीं करते. बीजेपी चुनावी साल 2022 में रिवाज बदलने की रट लगाए रही और मंत्री से लेकर विधायक तक भी सरकार रिपीट करने का दावा करते रहे लेकिन 8 दिसंबर को आए नतीजों में ना तो बीजेपी सत्ता में आई और ना ही रामलाल मारकंडा चुनाव जीत पाए.
जेपी नड्डा से लेकर आशा कुमारी तक हारी चुनाव- इस कमरे से जुड़ा तथाकथित 'अपशगुन' वो नेता भी झेल चुके हैं जो आज सियासत के नामी चेहरे हैं. सरकार किसी भी पार्टी की रही हो इस कमरे में बैठने वाला मंत्री अगली बार विधायकी रिपीट नहीं कर पाया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सियासी पारी हिमाचल से शुरू हुई थी. साल 1998 में जब वो दूसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे तो प्रेम कुमार धूमल की कैबिनेट में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी के साथ कमरा नंबर 202 भी मिला. इसके बाद से ही कमरा नंबर 202 से जुड़ा अभिशाप जारी है. जेपी नड्डा 5 साल मंत्री रहे और 2003 में अगला चुनाव बिलासपुर से हार गए.