शिमला: कुल्लू बस हादसे ने 46 लोगों की जिंदगियां लील ली है. इस हादसे ने देवभूमि को झकझोर कर रख दिया है. हादसे के बाद कुल्लू की सड़कों पर कोहराम मच गया. ताबड़तोड़ चालान काटे जा रहे हैं. ओवरलोडिंग ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. इस अव्यवस्था ने ट्रैफिक व्यवस्था में पैनी नजर के दावों की पोल खोल कर रख दी है.
यहां सवाल ये भी उठता है कि सरकार को इससे पहले पता नहीं था कि बसों में ओवरलोडिंग हो रही है या व्यवस्था के लिए की जा रही कोशिशें मात्र कोशिशें रह जाएगी ये आने वाला वक्त ही बताएगा.
कुल्लू बस हादसे के बाद सरकार ने प्रदेश में बसों की कमी को भी महसूस किया है. प्रदेश में नई बसें चलाने का निर्णय लिया गया है. परिवहन मंत्री ने दावा किया है कि चालकों-परिचालकों की भर्ती के बाद नई बसों को ग्रामीणों रूटों पर चलाया जाएगा.
लोगों का कहना है कि सरकार बेशक ओवरलोडिंग के खिलाफ कार्रवाई कर अच्छा कदम उठा रही है, लेकिन सरकार को ये समझना चाहिए कि ओवरलोडिंग बसों की कमी के कारण हो रही है और अब प्रदेश में अव्यवस्था का आलम हो गया है. स्कूली बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं और लोगों को पैदल ही अपने गंतव्यों तक पहुंचना पड़ रहा है.
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गौरतलब है कि सूबे में करीब 697 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. लोक निर्माण विभाग दावा कर रहा है कि सूबे में 516 ब्लाक स्पॉट हैं, जबकि जीवीके के अनुसार 697 ब्लैक स्पॉट हैं, लेकिन इनको ठीक करने के लिए प्रशासन कोई कड़े कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है.
कुल्लू बस हादसा भी ब्लैकस्पॉट पर ही हुआ है. यहां सड़क किनारे किसी तरह की सुरक्षा सुविधा नहीं थी. इसके साथ ही इस रूट पर बहुत कम समय पर बसें जाती है, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और मजबूरन लोगों को घर तक पहुंचने के लिए ओवरलोडिड बसों पर सफर करना पड़ा.