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परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने के खूब हो रहे दावे, लोगों का सवाल- क्या हादसे के बाद ही जागेगी सरकार?

बंजार बस हादसे के बाद कुल्लू की सड़कों पर कोहराम मच गया. ताबड़तोड़ चालान काटे जा रहे हैं. ओवरलोडिंग ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. इस अव्यवस्था ने ट्रैफिक व्यवस्था में पैनी नजर के दावों की पोल खोल कर रख दी है. परिवहन मंत्री ने दावा किया है कि चालकों-परिचालकों की भर्ती के बाद नई बसों को ग्रामीणों रूटों पर चलाया जाएगा.

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Published : Jun 28, 2019, 2:35 PM IST

शिमला: कुल्लू बस हादसे ने 46 लोगों की जिंदगियां लील ली है. इस हादसे ने देवभूमि को झकझोर कर रख दिया है. हादसे के बाद कुल्लू की सड़कों पर कोहराम मच गया. ताबड़तोड़ चालान काटे जा रहे हैं. ओवरलोडिंग ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. इस अव्यवस्था ने ट्रैफिक व्यवस्था में पैनी नजर के दावों की पोल खोल कर रख दी है.

यहां सवाल ये भी उठता है कि सरकार को इससे पहले पता नहीं था कि बसों में ओवरलोडिंग हो रही है या व्यवस्था के लिए की जा रही कोशिशें मात्र कोशिशें रह जाएगी ये आने वाला वक्त ही बताएगा.
कुल्लू बस हादसे के बाद सरकार ने प्रदेश में बसों की कमी को भी महसूस किया है. प्रदेश में नई बसें चलाने का निर्णय लिया गया है. परिवहन मंत्री ने दावा किया है कि चालकों-परिचालकों की भर्ती के बाद नई बसों को ग्रामीणों रूटों पर चलाया जाएगा.

लोगों का कहना है कि सरकार बेशक ओवरलोडिंग के खिलाफ कार्रवाई कर अच्छा कदम उठा रही है, लेकिन सरकार को ये समझना चाहिए कि ओवरलोडिंग बसों की कमी के कारण हो रही है और अब प्रदेश में अव्यवस्था का आलम हो गया है. स्कूली बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं और लोगों को पैदल ही अपने गंतव्यों तक पहुंचना पड़ रहा है.

जानकारी देते स्थानीय निवासी

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गौरतलब है कि सूबे में करीब 697 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. लोक निर्माण विभाग दावा कर रहा है कि सूबे में 516 ब्लाक स्पॉट हैं, जबकि जीवीके के अनुसार 697 ब्लैक स्पॉट हैं, लेकिन इनको ठीक करने के लिए प्रशासन कोई कड़े कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है.

कुल्लू बस हादसा भी ब्लैकस्पॉट पर ही हुआ है. यहां सड़क किनारे किसी तरह की सुरक्षा सुविधा नहीं थी. इसके साथ ही इस रूट पर बहुत कम समय पर बसें जाती है, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और मजबूरन लोगों को घर तक पहुंचने के लिए ओवरलोडिड बसों पर सफर करना पड़ा.

लोगों का सरकार से ये सवाल भी है कि हादसों के बाद मृतकों को फौरी राहत दी जाती है और लाखों के चेक देकर पीड़ित परिवारों को मरहम लगाने की कोशिश की जाती है, लेकिन क्या यही पैसा बेहतर सुविधाओं के लिए खर्च नहीं किया जा सकता जिससे अनमोल जीवन बचाए जा सके.

परिवहन मंत्री ने भी माना है कि एकाएक ओवरलोडिंग पर की गई कार्रवाई से प्रदेश की जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि बसों की कमी के कारण ये समस्या पैदा हुई है.

जानकारी देते परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर

हिमाचल में दुर्घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा चिंता का विषय है, लेकिन इससे निजात पाने के प्रयास नाकाफी हैं.

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वर्ष सड़क हादसों की संख्या हादसों में यात्रियों की मौत हादसों में घायल यात्री
2009 3076 1140 5579
2010 3073 1102 5325
2011 3099 1353 5462
2012 2901 1109 5248
2013 2981 1054 5081
2014 3059 1199 5680
2015 3010 1097 5109
2016 3156 1163 5587
2017 3119 1176 5338
2018 3119 168 5444
2019 1168 430 2155(31-05-2019)

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