शिमलाः कोरोना कर्फ्यू में थोड़ी ढील देते हुए सरकार ने सार्वजनिक परिवहन सेवा को शुरू कर दिया है. विभिन्न रूटों पर एचआरटीसी की बसें लंबे समय बाद दौड़ती हुई दिखाई दीं. वहीं, इक्का-दुक्का रूटों पर ट्रायल के तौर पर ही निजी बसें दौड़ती नजर आई.
निजी बस ऑपरेटर्स अभी भी बस संचालन को लेकर असमंजस में हैं. दरअसल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए कोरोना कर्फ्यू में बस संचालन बंद कर दिया था. 14 जून से सरकार ने 50 प्रतिशत सवारियों के साथ बस संचालन की अनुमति दी है. ऐसे में निजी बस ऑपरेटर के लिए बसें चलाना घाटे का सौदा है. घाटे से उबरने के लिए निजी बस संचालकों ने प्रदेश सरकार के सामने यह मांग रखी कि उनके स्पेशल रोड टैक्स और टोकन टैक्स को माफ किया जाए.
3 मई से हड़ताल पर हैं निजी बस ऑपरेटर
रोड टैक्स और टोकन टैक्स माफ करने की मांग को लेकर निजी बस ऑपरेटर 3 मई से हड़ताल पर चले गए. प्रदेश में संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए 7 मई से बस सेवाओं पर संचालन पर प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू में लगाया गया. इसके बाद बस संचालन भी रुक गया. बस संचालन बंद होने की वजह से निजी बस ऑपरेटर की हड़ताल ठंडे बस्ते में चली गई. 11 जून को हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में बस संचालन को लेकर शुरू करने को लेकर फैसला लिया गया.
बैठक में निजी बस ऑपरेटर को राहत देते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने 40 करोड़ की राहत दी. इस राहत में प्रदेश सरकार ने सब्वेंशन स्कीम के तहत बस मालिक को 5 साल के लिए दो लाख से 20 लाख रुपये तक का लोन वर्किंग कैपिटल के तौर पर देने का निर्णय लिया. इसके साथ ही 1 अप्रैल, 2021 से 30 जून, 2021 तक निजी बस ऑपरेटर के स्पेशल रोड टैक्स और टोकन टैक्स का 50 फीसदी माफ कर दिया गया है.
निजी बस ऑपरेटरों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
प्रदेश सरकार की ओर से मिली राहत के बाद हिमाचल प्रदेश निजी बस यूनियन ने बैठक की. इस बैठक में निजी बस संचालकों ने बस संचालन बंद रखने का फैसला लिया. यूनियन के महासचिव रमेश कमल का कहना है कि प्रदेश सरकार ने उनके साथ वादाखिलाफी की है. प्रदेश सरकार से निजी बस ऑपरेटर यूनियन ने मांग की थी कि उनके स्पेशल रोड टैक्स और टोकन टैक्स को माफ किया जाए. प्रदेश सरकार ने उनकी आधी बात ही मानी, जबकि सरकार को उनकी सारी मांगे माननी चाहिए थी.