शिमला: हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर सिकंदर कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में गवर्नर और यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति की ओर से हाई कोर्ट में जवाब दायर किया गया.
जवाब में कहा गया है कि कुलपति की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी इस बात से अनजान थी कि सिकंदर कुमार कॉस्ट ऑफ कल्टीवेशन स्कीम में निदेशक के पद का अतिरिक्त कार्यभार एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में देख रहे थे.
अब प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दायर करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है. उधर, कुलाधिपति की तरफ से दिए गए लिखित जवाब में बताया गया है कि वीसी सिकंदर कुमार ने अपने आवेदन में खुद को कॉस्ट ऑफ कल्टीवेशन स्कीम का फुल टाइम निदेशक बताया. वहीं, प्रार्थी का आरोप है कि उस समय सिकंदर कुमार बतौर एसोसिएट प्रोफेसर ही निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे थे.
चांसलर की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार जो व्यक्ति कुलपति जैसे प्रतिष्ठित पद के लिए आवेदन करता है तो उसके आवदेन को आमतौर पर सही माना जाता है. ऐसी उम्मीद होती है कि इस प्रतिष्ठित पद के लिए आवेदन करने वाला शिक्षाविद जो भी तथ्य पेश करेगा, वे सही ही होंगे.
चांसलर के जवाब में यह भी कहा गया है कि यूजीसी के नियमों के तहत ही नियुक्ति की गई है. वहीं, बिंदु नंबर 11 में लिखा गया है कि जब सिकंदर कुमार निदेशक के पद पर थे तो उस समय एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर वह विवि में कार्यरत थे.