शिमला: प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नहीं लगेगी, लेकिन 50 फीसदी स्टाफ स्कूलों में आएगा. वहीं, छात्र भी अपने शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों से परमिशन लेने के बाद स्कूल आ सकते हैं.
वहीं, सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है. अभिभावकों का कहना है कि प्रदेश में कोविड 19 के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में स्कूलों को खोलने का यह फैसला सरकार को नहीं लेना चाहिए था.
वहीं, छात्रों को स्कूल जाने के लिए अभिभावकों से लिखित में परमिशन लेकर आना होगा. अभिभावकों से अनुमति मिलने पर ही छात्र स्कूल आ सकेंगे. सरकार के इस तरह के नियमों से यह साफ है कि सरकार किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहती है.
अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के स्कूल जाने पर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. बच्चे स्कूल जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोटेशन का इस्तेमाल करेंगे. साथ ही स्कूल में दूसरे छात्रों से मिलने और उनमें किसी के कोरोना पॉजिटिव निकलने से कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. ऐसे में सरकार भी बच्चे की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है.
अभी तक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा था. मार्च से ही छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. छात्र से लंबे समय से ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. यहां तक की परीक्षाएं भी ऑनलाइन ही करवा दी गई हैं. ऐसे में अब कोरोना के मामले बढ़ने पर सरकार इतना बड़ा जोखिम लेकर छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी गई है.