सैन्य सम्मान के साथ दोनों शहीदों को दी गई अंतिम विदाई. हमीरपुर/शिमला/ऊना:जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में 11 जनवरी को पेट्रोलिंग के दौरान सेना की गाड़ी गहरी खाई में जा गिरी थी. जिसमें सवार तीन जवानों की मौत हो गई थी. बता दें कि इनमें दो जवान हिमाचल प्रदेश के थे. जिनका आज सोमवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
ऊना जिले के शहीद अमरीक को उनके पैतृक गांव गणु मंदवाड़ा में अंतिम विदाई दी गई. शहीद को बेटे अभिनव ने मुखाग्नि देकर दुनिया से विदा किया. वहीं, पूरा गांव और रिश्तेदार शमशान घाट स्वर्गधाम में शहीद को श्रद्धांजलि देने जुटा. अंतिम संस्कार के दौरान लगातार शहीद अमर रहे के नारे लगे. शहीद को सबसे पहले बेटे अभिनव ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सेल्यूट किया. इसके बाद पिता धर्मपाल ने बेटे को श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही गगरेट के SDM सोमिल गौतम, जिला कांग्रेस अध्यक्ष रणजीत राणा और गगरेट के पूर्व विधायक राजेश ठाकुर ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए.
शहीद का पार्थिव शरीर करीब 10 बजे घर पहुंचा. जैसे ही पार्थिव देह घर पहुंची, परिवार में चीख पुकार मच गई. शहीद की पत्नी रूचि, बेटा अभिनव, मां ऊषा देवी, पिता धर्मपाल सिंह, बड़े भाई अमरजीत सिंह और छोटे भाई हरदीप सिंह पार्थिव शरीर को देख बिलख-बिलख कर रोए. शहीद अमरीक सिंह का चेहरा आखिरी बार देखते ही उनकी पत्नी और मां बेसुध हो गईं. दोनों को रिश्तेदारों और आस पड़ोस के लोगों ने ढांढस बंधाया. कुछ देर पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई और इस दौरान ही परिवार की तरफ से अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी की गईं.
6 दिन बाद घर पहुंचा पार्थिव शरीर
माछिल सेक्टर में 3 दिन पार्थिव शरीर रखा रहा. ख्रराब मौसम के कारण इसे एयरलिफ्ट नहीं किया जा सका. शुक्रवार को सेना के जवानों ने शव को दूसरी पोस्ट तक पहुंचाया. शनिवार सुबह सेना ने शव को वहां से श्रीनगर एयरलिफ्ट किया. श्रीनगर में अमरीक के शव का पोस्टमार्टम किया गया. रविवार सुबह अमरीक के शव को श्रीनगर से जम्मू पहुंचाया गया, जहां से शव हवाई जहाज से चंडीगढ़ भेजा गया. रविवार शाम शव चंडीगढ़ पहुंचा और वहां से सड़क मार्ग से ऊना लाया गया.
2001 में सेना में भर्ती हुए थे अमरीक सिंह
बता दें कि गणु मदवाड़ा के 39 वर्षीय हवलदार अमरीक सिंह की मंगलवार देरशाम जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए सड़क हादसे में शहीद हो गए. अमरीक सिंह 2001 में सेना में भर्ती हुए थे. वह जम्मू कश्मीर के माछिल सेक्टर में तैनात थे. वह अपने पीछे माता ऊषा देवी, पिता धर्मपाल सिंह, पत्नी रूचि और बेटा अभिनव को छोड़ गए हैं. अमरीक सिंह 2001 में 14 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. वह 3 भाइयों में मझले थे. उनका बेटा अभिनव छठी कक्षा की पढ़ाई कर रहा है.
वहीं, हमीरपुर जिले के शहीद अमित शर्मा को उनके पैतृक गांव तलाशी खुर्द में अंतिम विदाई दी गई. उनके चचेरे भाई लक्की शर्मा ने मुखाग्नि दी. वहीं पूरा गांव और रिश्तेदार शमशान घाट स्वर्गधाम में शहीद को श्रद्धांजलि देने जुटा. अंतिम संस्कार के दौरान लगातार शहीद अमर रहे के नारे लगे. अंतिम विदाई के मौके पर हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक आशीष शर्मा, कांग्रेस के प्रत्याशी रहे डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा, जिला प्रशासन की ओर से ADC जितेंद्र सांजटा, ASP अशोक वर्मा, SHO संजीव गौतम, तहसीलदार अनिल मनकोटिया और सेना की तरफ से कंपनी कमांडर सुनील सुलेखा मौजूद रहे. शहीद का पार्थिव शरीर करीब 10 बजे घर पहुंचा. जैसे ही पार्थिव देह घर पहुंची, परिवार में चीख पुकार मच गई. शहीद का पार्थिव शरीर कुछ देर के लिए आखिरी दर्शनों के लिए घर में रखा गया. इस दौरान परिवार की तरफ से अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी की गईं.
6 महीने पहले दादा, 7 दिन पहले दादी का निधन हुआ
अमित के पिता विजय कुमार का कहना है कि 6 महीने पहले अमित के दादा की मौत हुई थी. 7 दिन पहले उसकी दादी भी चल बसी और अब अचानक अमित की मौत होने से परिवार टूट गया है. अमित घर में इकलौता कमाने वाला था, लेकिन अब वह सहारा टूट गया है, फिर भी मुझे अपने बेटे पर गर्व है. भारत माता की रक्षा के लिए कुर्बानी दी है. उनका यह भी कहना है कि अगर भारत सरकार आदेश करे तो में दूसरे बेटे को भी फौज में भेजने के लिए तैयार हूं. अमित शर्मा (23) पुत्र विजय कुमार ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल झगड़याणी से कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई पूरी की, जबकि कक्षा-1 से 5 तक प्राइमरी स्कूल तलासी में पढ़ाई की. 4 साल पहले 2019 में अमित सेना में भर्ती हुआ था.
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