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चालबाज चीन क्यों ले रहा भारत से पंगा! LAC पर क्या है चाइना की चाल ? - Retired Brigadier Govind Singh Sisodia

कोरोना वायरस के चलते भी चीन की पूरी दुनिया में फजीहत हुई है. ऐसे में चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है. इन सब बिंदुओं पर ईटीवी भारत ने रिटायर्ड ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया से खास बातचीत की.

interview with Retired Brigadier Govind Singh Sisodia
रिटायर्ड ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया

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Published : Jun 27, 2020, 2:25 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 3:10 PM IST

हैदराबाद: एलएसी पर भारत-चीन के बीच तनाव जारी है. गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भी चीन बाज नहीं आ रहा है और घुसपैठ के लिए नए-नए पैंतरे आजमा रहा है. चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक में हुए निर्णयों को भी नहीं मान रहा है.

20 कदम आगे बढ़कर 10 कदम पीछे जाना चीन की पुरानी चाल रही है, लेकिन इस बार भारत अपने रुख पर अड़ा हुआ है. एलएसी पर चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है. कोरोना वायरस के चलते भी चीन की पूरी दुनिया में फजीहत हुई है. ऐसे में चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है. दुनिया का ध्यान भटकने के लिए चीन एलएसी पर तनाव पैदा कर रहा है.

वीडियो.

क्या ये तनाव LAC पर बातचीत की मेज से होता हुआ दिल्ली और बीजिंग तक पहुंचेगा या फिर स्थितियां युद्ध की तरफ बढ़ रही हैं. आखिर गलवान घाटी इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, चीन और भारत दोनों के लिए. इन सब बिंदुओं पर ईटीवी भारत ने रिटायर्ड ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया से खास बातचीत की.

गोविंद सिसोदिया सेना से लेकर एएसजी तक में अपनी सेवाएं दी हैं और 26/11 के मुंबई हमले में एनएसजी कमांडोज को लीड किया था. श्रीलंका से लेकर श्रीनगर तक ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया ने दुश्मनों से लोहा लिया है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया से बातचीत के अंश...

सवाल: मोदी सरकार इस पूरी परिस्तिथि को निंयत्रित कर रही है. एक पूर्व सैनिक होने के नाते आप इसे कैसे देखते हैं. क्या कहीं कोई चूक नजर आ रही है ?

जवाब- मुझे कोई चूक नजर नहीं आ रही है. पीएम, वित्त और विदेश मंत्री की स्टेटमेंट एक ही है, ईंट का जवाब पत्थर. जब सरकार की तरफ से ऐसी स्टेटमेंट आती है तो सेना का मोराल हाई हो जाता है. ट्रुप्स की मूवमेंट पर कोई रोक नहीं लगाई, सारे ट्रुप्स आगे भेज दिए गए. रक्षा मंत्री ने एक्यूपमेंट खरीदने की एडिशनल पावर भी दे दी. ये साफ संकेत हैं कि सरकार ने इस विषय को गंभीर तौर पर लिया है. सरकार इस विषय पर सही निर्णय ले रही है, ताकि भारत की सेना का मनोबल बना रहा है. चीन को ये ना लगे की भारत दब गया है.

सवाल: विपक्ष लगातार कह रहा है कि चीन ने भारत की जमीन कब्जा ली है, जबकि भारत सरकार कह रही है हमारी जमीन पर एक इंच भी कब्जा नहीं हुआ है ?

जवाब- कुछ लोग लोग कह रहे हैं कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है. ये कब्जा अभी का नहीं है. फिंगर-4 और फिंगर-8 पर चीन लंबे समय से है. मेरे विचार से अप्रैल से लेकर अभी तक चीन हमारे इलाके में नहीं है.

सवाल: चीन मानता क्यों नहीं है ?

जवाब- चीन की अपनी पॉलिसीज हैं. चीन का मकसद दुनिया को डोमिनेट करना है. शी जिनपिंग की पॉलिसी दुनिया में दबदबा कायम करने की है. चीन का मकसद सुपर पावर बनना है. चीन साउथ चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) में टांग अड़ा रहा है. चीन का वियतनाम के साथ विवाद है. यहां तक की अमेरिका के साथ भी इनके रिश्ते अच्छे नहीं हैं. सिर्फ रूस के साथ इनके संबंध सामान्य हैं. इसके अलवा चीन के सभी पड़ोसी मुल्क छोटे हैं. इनके ऊपर चीन हर किस्म का दबाव डाल रहा है. नेपाल, भुटान, वियतनाम, थाइलैंड, मलेशिया पर चीन ने दबदबा बनाने की कोशिश की है. पाकिस्तान चीन की जेब में है.

चीन को डर सता रहा है कि भारत अमेरिका के करीब जा रहा है और एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. चीन ये बात स्वीकार नहीं कर पा रहा है. चीन की पॉलिसी अमेरिका को आइसोलेट करने की है. इसी के तहत चाइना ने अपना बीआरआई प्रोजेक्ट शुरू किया है. स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स के तहत चीन ने दुनिया के कई देशों के बंदरगाहों तक अपनी पहुंच बनाई है. चीन समुद्र को डोमिनेट करने की कोशिश कर रहा है, चाहे वो साउथ चाइन सी हो ईस्ट चाइना या फिर जापान के साथ लगती समुद्री सीमा.

सबसे बड़ा सवाल ये है कि चीन भारत के साथ क्यों उलझ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि चीन नहीं चाहता कि भारत अमेरिका के साथ जाए. ना ही चीन एशिया में अपना कोई प्रतिद्वंदी चाहता है. इसीलिए चीन ने सोच समझकर एलएसी पर भारत को उलझाया है. भारत के दिल में आज भी दर्द है कि चीन उसके अक्साई चीन पर कब्जा करके बैठा है.

चीन बीच-बीच में भारत को रणनीतिक स्तर पर घेरने की कोशिश करता है. चीन ने भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में शामिल नहीं होने दिया. मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आंतकी घोषित करने के लिए चीन ने लंबा समय लिया. चीन हर तरफ से भारत को दो कदम पीछे करना चाहता है. पर आज का भारत 1962 का नहीं है. आज भारत एक शाक्तिशाली देश है. आज एशिया में सिर्फ भारत ही चीन को टक्कर देता है. गलवान, डोकलाम और फिंगर एरिया में घुसपैठ चीन की एक सोची समझी चाल है.

सवाल: इसका मतलब चीन ने पहले से ही तैयारी कर रखी है. बीच-बीच में शांति की बात करते हुए एक कदम पीछे हटना दो कदम आगे बढ़ना. चीन कह कुछ रहा है कर कुछ रहा है. क्या युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं ?

जवाब- चीन कैरेट एंड स्टिक पॉलिसी (प्रोत्साहन एवं सजा) भारत के साथ अपना रहा है. अभी चीन भारत को दबाने की कोशिश कर रहा है. मुझे नहीं लगता की युद्ध अभी इतनी जल्दी होगा. युद्ध हुआ तो ये अगले साल या अगले तीन चार महीने में हो सकता है. अभी दोनों देश बातचीत कर रहे हैं. दोनों देशों की लड़ाई दस-ग्यारह दिन की नहीं होगी. ये लंबे समय तक चलेगी.

अगर युद्ध का फैसला दस-ग्यारह दिन तक नहीं हुआ तो ये भारत-चीन का ही युद्ध नहीं रह जाएगा. अमेरिका ने जर्मनी से अपने ट्रुप्स जर्मनी से निकाल लिए हैं. इन्हें अमेरिका ने एशिया की तरफ भेज दिया है. शायद अमेरिका जमीनी स्तर पर युद्ध में शामिल ना हो, लेकिन अपना समुद्री बेड़ा साउथ चाइना सी में भेजकर चीन को इनसिक्योर कर देगा. पाकिस्तान का मुंह बंद करने के लिए एक बेड़ा उसकी तरफ भेज देगा. इसे शो ऑफ स्ट्रेंथ कहा जाता है. शायद समुद्र में अमेरिका एक फ्रंट खोल दे.

पहले हम रशिया की तरफ देखते थे और आंख बंद कर उनका यकीन करते थे. अब रशिया कई देशों में बंट चुका है. वो चीन-भारत दोनों को खुश रखना चाहता है. भले ही रशिया के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम ये नहीं कह सकते कि रशिया भारत के लिए चीन के खिलाफ फ्रंट खोलेगा. आज के समय में अमेरिका ही भारत के लिए चीन के खिलाफ फ्रंट खोल सकता है.

इसके साथ ही अमेरिका के मित्र देश फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया भी हमारी तरफ आ रहे हैं. ये सब एक किस्म से चीन को चैक मेट करने की कोशिश करेंगे. फौज भारत की होगी, लेकिन पीछे से सपोर्ट अन्य देशों का भी होगा. इसलिए चीन अभी लड़ाई नहीं करेगा.

पांच छह महीने बाद सैन्य ताकत जुटाकर भारत पर हमला करेगा, लेकिन चीन का हमला वहां नहीं होगा जहां हम सोच रहे हैं. चीन वहां हमला करेगा जहां भारत कमजोर होगा. चीन बॉक्सर की रणनीति बरत रहा है. मुक्का कहीं दिखा रहा है पर मारेगा कहीं और. लद्दाख में चीन-भारत का मुकाबला बराबरी पर हो गया है. इसलिए चीन कहीं और हमला करेगा.

सवाल: वॉर स्ट्रेटजी बनाने में आप माहिर रहे हैं. हिंदोस्तान के नजरिए से देखने की कोशिश करें तो चीन को घेरने के लिए हमारी रणनीति क्या होनी चाहिए ?

जवाब-हमारी नीति भी वहीं होनी चाहिए. हम वहां अटैक करें जहां चीन खतरा महसूस करे, ताकि चीन घबरा जाए. तिब्बत का फैक्टर हमारे फेवर में है. ये हमारी एक बड़ी स्ट्रैंथ हैं. हम अंतरराष्ट्रीय ओपेनियन बनाना शुरू कर दें कि तिब्बत पर चीन का जबरन कब्जा है. चीन आजाद देश था. इसलिए भारत को तिब्बत पर फ्रंट खोलना चाहिए. इसके साथ ही चीन अरूणाचल को अपना हिस्सा मानता है. हमे लद्दाख में उलझाकर चीन हमे कहीं अरुणाचल में सरप्राइज ना कर दें.

सवाल: क्या भारत साउथ चाइना सी में चीन को घेर सकता है. हमे वहां ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, यूएसए का सपोर्ट मिल सकता है. क्या नेवी के जरिए चीन पर दवाब बनाया जा सकता है ?

जवाब- भारत सीधे वहां चीन को नहीं घेर सकता है. वहां भारत की सरहद नहीं लगती है. साउथ चीन सी में अगर अमेरिका और अन्य देश मूवमेंट करते हैं तो भारत वहां उन्हें रि-इन्फोर्स कर सकता है. जब भारत रि-इन्फोर्स करेगा तो चीन की नेवी उस तरफ डायवर्ट होगी. चीन को साउथ चाइना सी में थ्रेट महसूस होगा. यहां भारत समुद्री बेड़ों के साथ दूसरे देशों की मदद कर सकता है.

सवाल: चीन के साथ युद्ध होता है तो ये एक फ्रंट पर नहीं होगा. ये शायद दो फ्रंट पर होगा. पीओके में भी चीन के ट्रुप्स देखे गए हैं ?

जवाब-युद्ध होने पर पाकिस्तान भारत के खिलाफ मोर्चा खोलकर सबसे बड़ी गलती करेगा. ये विश्व युद्ध की तरफ कदम होगा. एक मुल्क का दूसरे से युद्ध होता है ये बात यहां तक ठीक है, लेकिन जब दो-तीन मुल्क मिल जाते हैं तो विश्व युद्ध के आसार हो जाते हैं.

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए की अमेरिका पाकिस्तान की तरफ समुद्री बेड़ा भेज दे या फिर हवाई हमला कर दें. इस हालत में पाकिस्तान की बर्बादी है. चीन पाकिस्तान को कैसे इस्तेमाल कर सकता है ये देखने वाली बात है.

भारत-चीन-पाकिस्तान के बीच बनने वाले ट्राइजंक्शन से भारत को सरप्राइज करने के लिए चीन वहां से एंट्री कर ले. पर चीन पाकिस्तान की जमीन का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करेगा. पाकिस्तान भारत के खिलाफ मोर्चा खोलकर बहुत बड़ी गलती करेगा. क्योंकि ये उसके अस्तित्व के लिए बड़ा खतरनाक होगा.

Last Updated : Jun 27, 2020, 3:10 PM IST

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