शिमला: देश-दुनिया अनेक ताकतवर महिला राजनेताओं की काबिलियत की गवाह बनी है. नारी शक्ति राजनीति के क्षेत्र में (International Womens Day 2022) भी राज करने में पीछे नहीं नहीं है. भारत में इंदिरा गांधी जैसी मजबूत प्रधानमंत्री ने बाखूबी शासन किया है. देवभूमि की महिलाओं ने भी राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है. मौजूदा समय में देखें तो प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार में सरवीन चौधरी कैबिनेट मंत्री हैं. वे पूर्व में भी प्रेम कुमार धूमल सरकार के समय कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं.
इसके अलावा भाजपा से कमलेश कुमारी डिप्टी चीफ व्हिप हैं. रीता धीमान व रीना कश्यप विधायक हैं. इसी तरह कांग्रेस से आशा कुमारी वरिष्ठ नेत्री हैं. वे कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं और पंजाब कांग्रेस की प्रभारी सहित एआईसीसी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही हैं. इससे पूर्व हिमाचल में विद्या स्टोक्स ने लंबी राजनीतिक पारी खेली है. वे कई मर्तबा कैबिनेट मंत्री रहीं. एक समय वे हिमाचल प्रदेश में सीएम पद की सशक्त दावेदार रही हैं.
विद्या स्टोक्स. (फाइल फोटो) यदि केंद्रीय राजनीति की बात की जाए तो इस समय भाजपा से इंदु गोस्वामी राज्यसभा सांसद हैं. इससे पूर्व विप्लव ठाकुर राज्यसभा सांसद रही हैं. दिलचस्प तथ्य ये हैं कि हिमाचल प्रदेश और राज्यसभा का नाता 1956 से आरंभ होता है. माना जाता है कि पहाड़ की राजनीति में महिला सशक्तिकरण आरंभ से ही मौजूद रहा है. हिमाचल से राज्यसभा में पहली बार सांसद के रूप में महिला ने ही उपस्थिति दर्ज की थी. प्रथम बार राज्यसभा सांसद होने का गौरव लीला देवी को मिला था. लीला देवी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा पहुंची थीं. लीला देवी अप्रैल 1956 से अप्रैल 1962 तक राज्यसभा सांसद रहीं.
राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी. (फाइल फोटो) वहीं, कांग्रेस नेत्री विप्लव ठाकुर दो बार राज्यसभा सांसद चुनी गई. ये भी दिलचस्प बात है कि विपल्व ठाकुर का कार्यकाल पूरा होने के बाद उनकी जगह भी महिला नेत्री ने भरी. इंदु गोस्वामी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा के लिए चुनी गईं. हिमाचल से राज्यसभा में जाने वाली महिला राजनेताओं में लीला देवी के अलावा सत्यावती डांग, मोहिंद्र कौर, उषा मल्होत्रा, चंद्रेश कुमारी, बिमला कश्यप सूद का नाम शामिल है. सत्यावती डांग 1968 से 1974 के बीच राज्यसभा सांसद रहीं. वे कांग्रेस पार्टी से जुड़ी थीं.
कांग्रेस की विरष्ठ नेत्री विप्लव ठाकुर. (फाइल फोटो) इसके अलावा कांग्रेस नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर कौर की माता मोहिंद्र कौर भाजपा से राज्यसभा सांसद रहीं. उनका कार्यकाल 1978 से 1984 तक रहा. वे एक बार 1964 से 1970 के बीच पंजाब से भी सांसद चुनी गई थीं. इसी तरह 1980 से 1986 के समय अंतराल में उषा मल्होत्रा कांग्रेस से राज्यसभा सांसद बनीं. विप्लव ठाकुर दो बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं. बिमला कश्यप सूद 2010 से 2016 के बीच राज्यसभा में बतौर सांसद रहीं.
कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह. (फाइल फोटो) यदि हिमाचल विधानसभा की बात की जाए तो महिला विधायकों के लिहाज से वर्ष 1998 का साल सबसे शानदार रहा है. उस समय कुल छह महिला विधायक पहुंची थीं. 1998 के विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Election) के बाद प्रदेश विधानसभा में विद्या स्टोक्स, विप्लव ठाकुर, आशा कुमारी कांग्रेस तथा सरवीन चौधरी व उर्मिल ठाकुर के बाद उप चुनाव में भाजपा की ही निर्मला देवी विधायक रहीं. इस तरह पहली धूमल सरकार के समय 6 महिला विधायक प्रदेश विधानसभा में थीं. कांग्रेस विधायक आशा कुमारी. साल 1972 में भी विधानसभा में पदमा, सरला शर्मा, चंद्रेश कुमारी, लता ठाकुर और उनके बाद उप चुनाव में जीत हासिल कर विद्या स्टोक्स विधानसभा पहुंची थीं. वहीं, महिला राजनेताओं की बात करें तो हिमाचल में छह महिला विधायक मंत्री रह चुकी हैं. विद्या स्टोक्स, आशा कुमारी, विप्लव ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, सरला शर्मा कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहीं. वहीं, भाजपा में ये मौका सरवीन चौधरी को मिला है. सरवीन दूसरी दफा मंत्री बनी हैं. सांसदों की बात करें तो प्रतिभा सिंह दो बार सांसद बनी हैं. इस बार वे फिर से मंडी सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी हैं.
कैबिनेट मंत्री सरवीन चौधरी. (फाइल फोटो) हिमाचल में नौकरशाही में भी महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. राज्य सरकार में आशा स्वरूप, राजवंत कौर संधु मुख्य सचिव रही हैं. सरोजिनी गंजू ठाकुर, निशा सिंह, मनीषा नंदा प्रभावशाली नौकरशाह रही हैं. इसके अलावा कई जिलों की कमान युवा महिला आईएएस अफसरों के हाथ में है. वहीं, आईपीएस अफसरों में भी महिला शक्ति की जोरदार उपस्थिति है. इस समय डॉ. मोनिका भुटूंगरू शिमला की एसपी हैं. कमलेश कुमारी डिप्टी चीफ व्हिप. इसके अलावा शालिनी अग्निहोत्री एसपी रैंक की अफसर हैं. सौम्या सांबशिवन, अंजुम आरा भी युवा आईपीएस हैं. सतवंत अटवाल हिमाचल की पहली महिला आईपीएस थीं. वे बाद में बीएसएफ में भी डीआईजी के पद पर रहीं. इसी तरह पुनीता भारद्वाज भी हिमाचल पुलिस में ऊंचे ओहदे पर रही हैं. हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर (Literacy Rate in Himachal Pradesh) में भी महिलाओं का खास स्थान है. राज्य में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले हर महिला दिवस पर देवभूमि की नारी शक्ति के खाते में नवीन उपलब्धियां दर्ज होती रहें.
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