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IIAS में 12 महीने घूमने जा सकते हैं पर्यटक, वायस रीगल लॉज नाम से भी जानी जाती है ये इमारत - tourist place advanced study

शोध संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी शिमला का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, भवन की ऐतिहासिकता, भव्य वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए देश और विदेश से हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. अब पर्यटक यहां 12 महीने घूमने का आनंद ले सकते हैं.

indian institute of advanced study
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी

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Published : Dec 18, 2019, 5:10 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 5:24 PM IST

शिमला:शोध संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी शिमला का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, भवन की ऐतिहासिकता, भव्य वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए देश और विदेश से हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. अब पर्यटक यहां 12 महीने घूमने का आनंद ले सकते हैं.

इस हेरिटेज पर्यटक स्थल पर सड़क और ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है. इस पर्यटन स्थल से 23 किलोमीटर दूर जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा है. जुब्बड़हट्टी से सड़क मार्ग से टैक्सी या बस सेवा से शिमला पहुंचा जा सकता है.

इसके साथ ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी से दो किलोमीटर की दूरी पर शिमला रेलवे स्टेशन है. कालका से शिमला पहुंचने में छह घंटे का समय लगता है. वहीं, शिमला मॉल रोड से इस पर्यटन स्थल की दूरी तीन किलोमीटर है. यह दूरी पैदल और एचआरटीसी की टैक्सी सेवा के माध्यम से पूरी की जा सकती है. यह मार्ग आंशिक रूप से प्रतिबंधित मार्ग है.

इस भवन को वायस रीगल लॉज के नाम से भी जाना जाता है. इसका निर्माण ब्रिटिश काल में किया गया है. बता दें कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी का इस्तेमाल राष्ट्रपति निवास के रूप में भी किया जा चुका है. ये इमारत इंडो-गॉथिक शैली में डिजाइन की गई हैं.

इस पर्यटन स्थल के आस पास ठहरने के लिए होटल सीसल और होटल राजदूत, राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ, होटल ब्लॉसम, होटल लैंडमार्क समेत अन्य कई छोटे बड़े होटल हैं.

एडवांस स्टडीज संस्थान को आजादी से पहले वॉयसराय लॉज के रूप में जाना जाता था. गर्मियों में यहीं से अंग्रेज शासन चलाते थे. आजादी के बाद इसे राष्ट्रपति निवास में तब्दील कर दिया गया. 1964 में इसे रिसर्च संस्थान में बदल दिया गया. बता दें कि हैनरी इर्विन ने इस बिल्डिंग का आर्किटेक्चर तैयार किया था. इस भवन का निर्माण 1884 से लेकर 1888 के बीच किया गया था. इस बिल्डिंग से शिमला समझौते से लेकर कई ऐतिहासिक बातें जुड़ी हैं. इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान विभाजन की पटकथा भी इसी बिल्डिंग में लिखी गई थी.

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Last Updated : Dec 18, 2019, 5:24 PM IST

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