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कोरोना के बाद खांसी को हल्के में न लें, हो सकता है टीबी, IGMC के डॉक्टरों ने किया अलर्ट

प्रदेश में जितने लोग अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे उनमें से ज्यादातर लोग ठीक हो गए हैं, लेकिन कोरोना से ठीक हुए लोगों को लंबे समय तक खांसी रहती है. चिकित्सकों की मानें तो कोरोना से ठीक हुए लोगों में अगर लगातार खांसी बनी हुई है, तो यह टीबी हो सकता है. इसलिए सही समय पर जांच जरूर करवाएं.

शिमला आईजीएमसी
शिमला आईजीएमसी

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Published : Jul 28, 2021, 6:37 PM IST

शिमला: प्रदेश में कोरोना के मामले कम हो गए हैं. अभी तक जितने लोग संक्रमित हुए थे उनमें से अधिकतर लोग कोरोना संक्रमण (Corona virus) से ठीक भी हो गए हैं, लेकिन कोरोना से ठीक हुए लोगों को लंबे समय तक खांसी (Cough) रहती है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, ये खतरनाक साबित हो सकता है. चिकित्सकों की मानें तो कोरोना से ठीक हुए लोगों में अगर लगातार खांसी बनी हुई है, तो यह टीबी हो सकता है.


आईजीएमसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों (Specialist Doctors in IGMC) ने टीबी संक्रमण (Tuberculosis Infection) को लेकर अलर्ट किया है. विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना के बाद टीबी का खतरा ज्यादा है. इसलिए लंबे समय तक खांसी के लक्ष्ण रहें तो चेक करवाएं. विभाग द्वारा उन लोगों को, जिनमें संक्रमण के बाद लंबे समय तक खांसी के लक्षण हैं, उन्हें टीबी की जांच (TB test) करवाने को कहा जा रहा है. जहां पहले रोजाना के मामले 150 से ज्यादा आ रहे थे, वहीं अब लगभग दो महीनों से इनमें काफी कमी देखी गई है. प्रतिदिन कोरोना के मामले 20 से कम आ रहे हैं. इसी बीच टीबी के मरीजों का आंकड़ा बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है.

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जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में टीबी के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है, जिसको देखते हुए लोगों से टीबी के प्रति सतर्क रहने की अपील की जा रही है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण होने के बाद कुछ एक लोगों की नेगेटिव रिपोर्ट आने पर भी खांसी आदि से निजात नहीं मिल पा रही है, जिससे कि टीबी का खतरा बना हुआ है. इसको देखते हुए चिकित्सकों ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है, ताकि टीबी जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सके. कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी अगर किसी को खांसी, जुकाम आदि के लक्षण आते हैं तो जल्द से जल्द अस्पताल में जाकर टीबी की जांच करवाएं, ताकि समय रहते किसी गंभीर बीमारी से बचा जा सके.

कोरोना संक्रमण फेफड़ों को प्रभावित करता है और इसलिए व्यक्ति कमजोर हो जाता है. इसके साथ ही सैल्स के नंबर भी कम होने लगते हैं और इम्युनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में लंबे समय तक खांसी रहने से टीबी का खतरा बढ़ रहा है. जानकारी अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड दवाइयों का भी ज्यादा इस्तेमाल किया गया है. इससे भी टीबी होने का अंदेशा जताया जा रहा है.

हालांकि शिमला जिला में अब तक टीबी संक्रमण का कोई भी मामला नहीं आया है, लेकिन विभाग ने सतर्कता बरतते हुए इसकी जांच बढ़ाने की तैयारी कर ली है. तीन हफ्तों से ज्यादा खांसी हो, बलगम के साथ खून आना, सीने में दर्द होना, सांस लेने और खांसने में दर्द आदि के लक्षण होने पर जांच करवाएं. टीबी का बैक्टीरिया सांस से फैलता है. साथ ही यह छींकने या खांसने पर मुंह से निकले कणों से भी फैलता है. इसमें रात को पसीने, भूख बंद होना आदि लक्षण आते हैं.

इस संबंध में आईजीएमसी में श्वास रोग विभाग के एचओडी डॉ. मलाया सरकार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद भी अगर खांसी रहे तो उसकी जांच अवश्य करवाएं, जिससे की टीबी जैसी गंभीर बीमारी होने का पता लगाया जा सके. तीन हफ्तों से ज्यादा खांसी हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में जांच करवाएं.

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