शिमला:हिमाचल सरकार को आने वाले समय में भी कर्ज का घी लेकर ही काम चलाना पड़ेगा. प्रदेश पर अब 74,662 करोड़ रुपए कर्ज हो गया है. पूर्व की जयराम सरकार ने पांच साल के अंतराल में 26,716 करोड़ रुपए का लोन (Debt on Himachal Government) लिया. अब स्थिति यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष में हिमाचल पर कर्ज का कुल भार 74,662 करोड़ हो जाएगा. यह जानकारी सदन में एफआरबीएम संशोधन विधेयक के पारित होने के दौरान सामने आई.
इस विधेयक के जरिए लोन सीमा को राज्य के कुल जीडीपी के 6 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा. बढ़ा हुई लोन की रकम हिमाचल को इस साल 31 मार्च से पहले लेनी होगी. विधेयक में शर्त यह है कि केंद्र सरकार से मिला 50 साल का लंबी अवधि का ऋण इस कर्ज लीमिट में नहीं गिना जाएगा. यह सही है कि हिमाचल को कर्ज लेना ही पड़ेगा, लेकिन मौजूदा सरकार लोन पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रही है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) इस दिशा में रोड मैप तैयार कर रहे हैं. इसी को देखते हुए आने वाले दो वित्त वर्षों में इस लोन लिमिट को 3.5 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य है. यही नहीं सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने एक और पहल की है. सुखविंदर सरकार ने एफआरबीएम एक्ट के प्रावधानों को लागू करने की प्रक्रिया को रिव्यू करने का अधिकार भी कैग को दिया है. यह सभी प्रावधान पारित हुए बिल में शामिल हैं.