ठियोग-हाटकोटी सड़क को जेसीबी मशीन से उखाड़ने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. शिमला: ठियोग-हाटकोटी सड़क को जेसीबी मशीन से उखाड़ने का मामला सुर्खियों में आ गया है. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर लोक लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठा रहे हैं. 55 किलोमीटर के इस सड़क के लिए करीब 30 करोड़ का फंड मंजूर किया गया है. लोक निर्माण विभाग इसको उखाड़कर इस पर टारिंग करने की तैयारी कर रहा है. हालांकि लोक निर्माण विभाग की ओर से कहा गया है कि सड़क की टारिंग का समय पूरा हो गया है और इसकी सड़क की टेस्टिंग के आधार पर केंद्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने सिंगल लेयर टारिंग करने को मंजूरी दी है.
ठियोग से हाटकोटी नेशनल हाईवे कोटखाई, जुब्बल रोहड़ू आदि की लाइफ लाइन है. यही नहीं इसके कुछ हिस्से पर चौपाल और आसपास के इलाकों के लोग भी यातायात के लिए निर्भर हैं. इस हाईवे को बनाए हुए पांच साल से ज्यादा का समय हो गया है. सड़क की टारिंग का समय पूरा होने के बाद लोक निर्माण विभाग टारिंग इसकी नए सिरे से टारिंग करने की तैयारी कर रहा है.
बताया जा रहा है कि करीब 55 किलोमीटर लंबी इस सड़क के लिए करीब 30 करोड़ का बजट मंजूर किया गया है. हालांकि लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सड़क ठीक है तो फिर इसको उखाड़ पर फिर से टारिंग ही क्यों की जा रही है. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यह वीडियो ठियोग के गजेड़ी के समीप का है, जहां सड़क बिल्कुल ठीक है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर सड़क खराब होती तो इसको ठीक करना समझ में आ सकता था. लेकिन विभाग इस सड़क को वहां पर उखाड़ रहा है जहां पर यह ठीक है.
यही नहीं प्रदेश में अन्य सड़कें हैं जो खराब हालात में हैं. ऐसे में इस सड़क पर खर्च की जा सकने वाली राशि को अन्य सड़कों पर भी खर्च कर उनको सुधारा जा सकता था. टारिंग के समय को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. बरसात के मौसम में टारिंग करने को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही सेब सीजन भी शुरू हो गया है और शिमला जिला के सेब बहुल इलाके कोटखाई-जुब्बल इसी सड़क पर पूरी तरह से निर्भर है. इस तरह सड़क उखाड़ने से सेब से लदे वाहनों का यहां से गुजरना मुश्किल होगा.
'टेस्टिंग कर सिंगल लेयर वाली टारिंग की मिली है इजाजत':एनएच ठियोग के एक्सईन पीपी सिंह का कहना है कि ठियोग हाटकोटी सड़क के करीब 55 किलोमीटर हिस्से में टारिंग के लिए 30 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं, क्योंकि इसकी टारिंग का समय पूरा हो चुका है. सड़क के अधिकतर हिस्से की टारिंग किए हुए पांच से छह साल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय किसी सड़कों की टारिंग की इजाजत देने से पहले ऐसी टेस्टिंग करता है और यहां भी इस तरह का प्रोसीजर फॉलो किया गया है.
एनएच ठियोग के एक्सईन पीपी सिंह ने कहा है कि लोक निर्माण विभाग की ओर से दो राष्ट्रीय राजमार्गों की टारिंग के प्रस्ताव मंत्रालय को भेजे गए थे. इनमें एक ठियोग हाटकोटी सड़क है और दूसरी शिमला रामपुर हाइवे के नारकंडा से कुमारसैन तक का हिस्सा है. केंद्रीय मंत्रालय ने जरूरत के हिसाब से नारकंडा से कुमारसैन तक डबल लेयर टारिंग की मंजूरी की है, क्योंकि वहां पर सड़क ज्यादा खराब है जबकि ठियोग हाटकोटी सड़क के लिए सिंगल लेयर टारिंग को मंजूरी दी गई है. उन्होंने कहा कि अगर इस साल सड़क की टारिंग नहीं की गई तो अगली साल तक इसकी हालात खराब हो जाएगी और फिर इस पर ज्यादा बजट वहन करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि टारिंग के लिए समय बहुत कम है, सर्दियों में टारिंग नहीं की जा सकती. यही वजह है कि बरसात में केवल उस समय ही टारिंग की जाएगी जब मौसम साफ होगा.
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