शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने देश के लिए सामरिक महत्व वाली शिंकू-ला सुरंग के निर्माण से जुड़ी बोलीदाता कंपनी की धरोहर राशि जब्त करने वाला फैसला सही ठहराया है. ये धरोहर राशि 15 करोड़ रुपए है. दरअसल, केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के तहत बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन ने कंपनी की धरोहर राशि जब्त करने का आदेश दिया था. कंपनी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने प्रार्थी कंपनी की धरोहर राशि जब्त करने से जुड़े फैसले को सही ठहराया और महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि जनहित किसी भी तरह के निजी हित से बढ़कर है.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रार्थी कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा बोलीदाता कंपनी के कारण जनहित को नुकसान पहुंचा है. खंडपीठ ने कहा कि देश के लिए सामरिक महत्व की इस सुरंग परियोजना का कार्य समय पर शुरू हो सकता था. मामले के अनुसार बीआरओ ने उक्त सुरंग परियोजना के लिए 23 फरवरी 2023 को निविदाएं आमंत्रित की थी. इस परियोजना के लिए औसत खर्च 1504 करोड़ रुपए आंका गया था.
कोलकाता की कंपनी मैसर्ज एबीसीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड सहित कुल 10 बोलीदाताओं ने निविदा में हिस्सा लिया. प्रार्थी कंपनी ने 15 करोड़ 4 लाख 64 हजार रुपए की बैंक गारंटी भी बीआरओ को सौंपी. इस परियोजना के लिए 5 जून को तकनीकी बिड खोली गई. प्रार्थी कंपनी ने 1504 करोड़ रुपए की अनुमानित कीमत की सुरंग का निर्माण करने के लिए फाइनेंशियल बिड 1569 रुपए भरी. फिर 24 अगस्त को 7 बोलीदाता जो तकनीकी बिड में सफल रहे थे, उनकी फाइनेंशियल बिड खोली गई. प्रार्थी कंपनी की बिड 1569 रुपए होने के कारण उसे न्यूनतम लागत में निर्माण करने वाली कंपनी पाते हुए एल-1 कैटेगरी में घोषित कर दिया गया.