शिमला: अनुबंध आधार पर दी गई सेवाओं को वेतन बढ़ोतरी व पेंशन के लिए गिने जाने के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो टूक सलाह दी है. अदालत ने कहा है कि सरकार चाहे किसी भी दल की क्यों न हो, उसका व्यवहार आदर्श नियोक्ता की तरह होना चाहिए. हाईकोर्ट ने आदर्श नियोक्ता वाला व्यवहार करने का सुझाव देते हुए कहा कि बेशक सत्ता परिवर्तन से नई सरकार बनी हो, हर परिस्थिति में कर्मचारियों के प्रति उसका व्यवहार न्यायोचित रहना बहुत जरूरी है.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने यह सलाह दी. खंडपीठ ने अनुबंध सेवा के लाभों की अदायगी से जुड़े मामले पर सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की. मामले के अनुसार दो याचिकाकर्ताओं में से एक को शुरू में अनुबंध के आधार पर जेबीटी के रूप में कार्य किया था और बाद में नियमित आधार पर पद बदलते हुए, उसे शास्त्री अध्यापक बनाया गया.
दूसरे याचिकाकर्ता को भी अनुबंध के आधार पर जेबीटी के रूप में नियुक्त किया गया था. फिर बाद में उसकी अनुबंध नियुक्ति के बाद बिना किसी रुकावट के उसी पद पर नियमित कर दिया गया. न्यायालय ने कहा कि जहां किसी कर्मचारी ने विभिन्न पदों पर अनुबंध के आधार पर सेवा की है और उसे किसी अन्य पद पर नियमित किया गया है, तो उसकी तदर्थ/कार्यकाल अवधि को केवल पेंशन के उद्देश्य के लिए गिना जाएगा. वहीं, अनुबंध के आधार पर नियुक्त कर्मचारी को बिना किसी रुकावट के उसी पद पर नियमित आधार पर तैनात किया जाता है, तो उसकी अनुबंध सेवा को वार्षिक वेतन वृद्धि के साथ-साथ पेंशन लाभ के लिए गिना जाना चाहिए.