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एसटी सर्टिफिकेट की मांग करने वाली गिरिपार क्षेत्र की सामान्य श्रेणी उम्मीदवार को राहत नहीं, जानिए फैसले में क्या कहा हाईकोर्ट ने

Himachal High Court Rejects Petition: हिमाचल हाई कोर्ट ने एसटी सर्टिफिकेट की मांग करने वाले गिरिपार क्षेत्र के सामान्य श्रेणी उम्मीदवार को राहत नहीं दी है. कोर्ट ने उम्मीदवार के एसटी सर्टिफिकेट की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 8:05 PM IST

Updated : Nov 17, 2023, 8:36 PM IST

शिमला: शिक्षा विभाग में शास्त्री के पद पर बैचवाइज भर्ती के लिए अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र यानी एसटी सर्टिफिकेट की मांग से जुड़ी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. सिरमौर जिला के ट्रांस गिरि यानी गिरिपार इलाके की एक सामान्य श्रेणी उम्मीदवार ने एसटी सर्टिफिकेट की मांग की थी. उल्लेखनीय है कि गिरिपार को केंद्र सरकार ने एसटी का दर्जा दिया है, लेकिन इसमें राज्य की तरफ से आगामी औपचारिकताएं अभी पूरी नहीं हुई हैं.

इसी गिरिपार इलाके की सामान्य श्रेणी की एक उम्मीदवार ने शास्त्री के पद के लिए हो रही बैचवाइज भर्ती के लिए खुद को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. इस मांग से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट ने राहत से इनकार किया है. प्रार्थी ने शास्त्री पद के लिए होने जा रही बैचवाइज भर्ती प्रक्रिया में उसे अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार के तौर पर मान्यता दिलवाने की मांग की थी.

अदालत ने प्रार्थी के आवेदन पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति ने पहले ही संबंधित क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की हुई है. इस याचिका को ध्यान में रखते हुए अदालत ने फिलहाल प्रार्थी को सामान्य श्रेणी के अंतर्गत ही काउंसलिंग में भाग लेने देने की अनुमति दे दी है.

प्रार्थी का आरोप है कि सिरमौर जिले के ट्रांसगिरि क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के बावजूद उसे अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा रहा है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रार्थी की याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी किए हैं.

मामले के अनुसार शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए बैचवाइज भर्ती प्रक्रिया शुरू की है. प्रार्थी का कहना था कि जिस क्षेत्र से वह संबंध रखती है उसे केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया है. इसके बावजूद राज्य सरकार उसे अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का प्रमाणपत्र जारी नहीं कर रही है. सरकार की इस लापरवाही से वह आरक्षण का लाभ नहीं ले पा रही है. प्रार्थी ने आरक्षित वर्ग के पद के लिए उसे कंसीडर करने की गुहार लगाई थी.

हाईकोर्ट ने प्रार्थी की याचिका को नकारते हुए इसी मुद्दे को लेकर अनुसूचित जाति अधिकार समिति की याचिका के मद्देनजर उसे सामान्य श्रेणी में काउंसलिंग के लिए कंसीडर करने के आदेश दिए. कोर्ट ने प्रार्थी के परिणाम को आगामी आदेशों तक घोषित न करने के आदेश भी दिए. कोर्ट ने मामले में बनाए सभी 6 प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक याचिका का जवाब दायर करने के आदेश भी दिए.

बता दें कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने की घोषणा की थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने 4 अगस्त 2023 को जारी अधिसूचना के तहत ट्रांस गिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर दिया था, लेकिन अभी तक आरक्षण के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट न होने के कारण सरकार गिरिपार क्षेत्र के लोगों को वांछित प्रमाणपत्र जारी नहीं कर रही है.

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Last Updated : Nov 17, 2023, 8:36 PM IST

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