शिमला:हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने अनुबंध सेवाकाल को पेंशन के लिए गिने जाने के आदेश जारी किए हैं. प्रदेश हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अनुबंध सेवा अवधि को पेंशन के लिए गिने जाने के आदेश पारित किए हैं. न्यायमूर्ति सबीना की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि किसी भी कर्मचारी की सेवा योग्यता उस तारीख से आरंभ होती है, जिस तिथि से वो अपना कार्यभार संभालता है. अदालत ने ये भी स्पष्ट किया है कि बेशक कर्मचारी की नियुक्ति अस्थाई हो या स्थाई, सेवा योग्यता उसी तारीख से शुरू मानी जाएगी. खंडपीठ के अनुसार अस्थायी नियुक्ति बिना किसी रुकावट के स्थायी नियुक्ति में निहित होती है. इस तरह ऐसी स्थिति में अनुबंध सेवा को सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 की प्रयोज्यता के उद्देश्य के लिए गिना जाना उचित है.
दरअसल, इस संदर्भ में पेशे से एक चिकित्सक की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाई कोर्ट ने डॉक्टर की याचिका सुनवाई के लिए मंजूर की थी. डॉक्टर उमेश कुमार की याचिका पर ही उक्त फैसला जारी किया गया है. वहीं, अदालत ने सरकार के 18 अक्टूबर 2021 के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसके तहत याचिकाकर्ता को पेंशन का लाभ न दिए जाने का निर्णय लिया गया था. याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि उसकी 31 जनवरी 1997 को उसकी नियुक्ति डॉक्टर के तौर पर स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध आधार पर की गई थी. नियुक्ति के बाद उसकी सेवाओं को वर्ष 2007 में नियमित किया गया. दलील दी गई कि सरकार ने दस वर्ष तक उसकी सेवाओं को नियमित नहीं किया, जबकि उसे स्थाई कर्मचारी के सभी सेवा-भत्ते दिए.