शिमला: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अटल टनल के आसपास कूड़े-कचरे की सफाई के सरकारी स्तर पर किए गए उपायों से हाई कोर्ट ने नाखुशी जताई है. अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार ने इस संदर्भ में जो प्रयास और उपाय किए हैं, वो नाकाफी हैं. वहीं, इस मामले में नियुक्त किए गए एमिक्स क्यूरी ने राज्य सरकार को जो सुझाव दिए हैं, उस पर हाई कोर्ट ने नए सिरे से जवाब तलब किया है.
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को उन सुझावों पर अपना पक्ष रखने के लिए निर्देश जारी किए हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को अटल टनल क्षेत्र से कूड़ा-कचरा हटाने के लिए अभियान चलाने, कचरा फैलाने वालों के खिलाफ जुर्माना करने के प्रावधानों की जानकारी और विगत एक साल में दोषियों से वसूले गए जुर्माने की राशि का ब्यौरा मांगा था.
इसके अलावा अदालत ने संबंधित क्षेत्र में डस्टबिन स्थापित करने, पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाने, इलाके को स्वच्छ बनाने के प्रावधानों की जानकारी भी पेश करने को कहा था. इस मामले में एमिक्स क्यूरी नियुक्त किए गए एडवोकेट विनोद ठाकुर ने अदालत को बताया कि अटल टनल आने वाले सैलानी व अन्य लोग सफाई के प्रति लापरवाह हैं. सैलानी गैर जिम्मेदारी से भरा व्यवहार करते हैं. यदि कोई सैलानी या स्थानीय व्यक्ति किसी जगह कूड़ा फेंक देता है तो दूसरे सैलानी भी यही सोचकर उस जगह गंदगी फैलाते हैं. लोग ऐसा मानते हैं कि उन्हें उस जगह पर कूड़ा फेंकने का लाइसेंस मिल गया है.