शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे घर हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से कई उम्मीदें हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है और हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान डबल इंजन की सरकार का दाव खेला था, लेकिन भाजपा सत्ता में नहीं आ पाई. बेशक हिमाचल में कांग्रेस सरकार है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को भरोसा दिलाया है कि राज्य की हरसंभव मदद की जाएगी. ऐसे में हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से अपनी मांगों को लेकर उम्मीदें हैं.
निर्मला सीतारमण के बजट से हिमाचल की उम्मीद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज बजट पेश करेंगी. वैसे तो केंद्रीय बजट स्टेट स्पेसेफिक नहीं होता है, लेकिन हिमाचल को अपनी मांगों के पूरा होने का भरोसा है. तय नियमों के अनुसार केंद्र का बजट आने से पहले राज्यों के साथ प्री-बजट बैठकें होती हैं. हिमाचल में चूंकि विधानसभा चुनाव सिर पर थे, लिहाजा केंद्र के साथ पिछले साल 28 नवंबर को ही ये बैठक हुई थी. उस बैठक में तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने हिस्सा लिया था. तब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के समक्ष दो प्रमुख मांगें रखी थीं. उनमें हिमाचल में रेल, रोड व हवाई कनेक्टिविटी के विस्तार का मामला रखा था. इसके अलावा सेब उत्पादक राज्य के तौर पर हिमाचल ने सेब पैकिंग मेटेरियल पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की मांग रखी थी. हिमाचल में इस सीजन में सेब पैकिंग मेटेरियल पर तत्कालीन राज्य सरकार ने जीएसटी को 12 फीसदी करने के लिए एक्स्ट्रा 6 फीसदी हिस्सा खुद वहन किया था. खैर, ये तो बात हुई हिमाचल सरकार की मांग की, अब देखते हैं कि राज्य को किस तरह की आस है.
मंडी इंडरनेशनल एयरपोर्ट-हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन सीमित हैं. ऐसे में बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए हिमाचल केंद्र की मदद पर निर्भर है. हिमाचल को 15वें वित्तायोग ने मंडी में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की थी. उस सिफारिश पर केंद्र की तरफ से फिलहाल कोई खास रिस्पॉन्स नहीं आया था. हिमाचल को आशा है कि केंद्र सरकार पंद्रहवें वित्तायोग की सिफारिश को स्वीकार कर इस प्रोजेक्ट के लिए मदद करेगी.
हिमाचल में रेल विस्तार- अब रेल बजट अलग से नहीं आता है. केंद्रीय बजट में ही रेल बजट इंक्लूड किया जाता है. हिमाचल में रेल विस्तार का मामला दशकों से लटका हुआ है. ऊना से हमीरपुर रेल लाइन का मामला सिरे नहीं चढ़ा है. कालका-शिमला रेल मार्ग के आधुनिकीकरण को लेकर भी उम्मीद है. इसके अलावा रेल विस्तार के लंबित प्रोजेक्ट्स के लिए बजट के प्रावधान की आस भी हिमाचल को है. पांवटा साहिब से जगाधरी रेल लाइन उद्योग जगत की मांग है. इसी तरह से बद्दी-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए भी हिमाचल की मांग निरंतर चली आ रही है. भानुपल्ली, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल मार्ग के मुआवजे और भूमि अधिग्रहण के कुछ मसले हैं. उनके लिए केंद्र से कुछ घोषणा की आशा है. ऊना से हमीरपुर रेल मार्ग तो सांसद अनुराग ठाकुर की भी ड्रीम परियोजनाओं में से एक है. देखना है कि वे इसके लिए केंद्र के समक्ष किस तरह की पैरवी करते हैं.
बागवानों को उम्मीद- सेब हिमाचल की पहचान है, जिसपर हिमाचल की आर्थिकी भी टिकी हुई है. हिमाचल में सेब उत्पादकों के लिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर शुल्क को सौ फीसदी करने की मांग दशकों पुरानी है. इस मांग को लेकर बागवानों ने कई आंदोलन भी किए हैं. राज्य सरकारें भी केंद्र के समक्ष इस मसले को उठाती हैं, लेकिन किसी सरकार ने सेब पर आयात शुल्क को सौ फीसदी नहीं किया है. इसकी मार हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. सेब के लिए पैकिंग मेटेरियल को भी सस्ता किए जाने की बागवानों ने मांग उठाई है.
आयकर छूट में राहत की आस- इसके अलावा हिमाचल प्रदेश का टैक्स अदा करने वाला वर्ग टैक्स स्लैब में राहत चाहता है. ये उम्मीद हर बजट में रहती है. काफी समय से केंद्र ने टैक्स स्लैब को लेकर कोई बड़ी राहत नहीं दी है. हिमाचल को उम्मीद है कि इस बार बजट में कुछ राहत मिल सकती है.