शिमला: हिमाचल प्रदेश में सीपीएस की नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. छोटे पहाड़ी राज्य में ये विवाद नया नहीं है. यहां पहले भी सीपीएस की नियुक्तियां होती रही हैं और मामले अदालत तक जाते रहे हैं. एक दशक पहले वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में दस सीपीएस बनाए गए थे. मौजूदा समय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने भी छह विधायकों को सीपीएस बनाया है. इनकी नियुक्ति को भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती व अन्य ने हिमाचल हाई कोर्ट में चुनौती दी है. शनिवार यानी आज इस मामले में हाई कोर्ट सुनवाई करेगा. इस बीच, शुक्रवार को यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लिस्टेड था, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी. आइए, जानते हैं कि हिमाचल में आखिरकार सीपीएस की नियुक्ति की नौबत क्यों आती है और हर बार विवादों में घिरने के बावजूद सत्तासीन दल सीपीएस क्यों बनाता है?
वीरभद्र सिंह सरकार ने बनाए थे 10 सीपीएस: हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने साल 2013 में दस सीपीएस नियुक्त किए थे. सत्ता में आते ही तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने जनवरी, मई व अक्टूबर 2013 में सीपीएस बनाए. उस समय सुंदरनगर से विधायक सोहनलाल ठाकुर, रामपुर से नंदलाल, ज्वाली से नीरज भारती, घुमारवीं से राजेश धर्माणी, श्री रेणुकाजी से विनय कुमार, सुलह से जगजीवन पाल, जुब्बल से रोहित ठाकुर, बड़सर से आईडी लखनपाल, चिंतपूर्णी से राकेश कालिया व करसोग से मनसाराम को सीपीएस बनाया गया था. तब पीपुल्स फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस नामक संस्था ने इन नियुक्तियों को हिमाचल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
2014 में राजेश धर्माणी ने छोडा सीपीएस का पद:उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में भी भाजपा विधायकों के अलावा उपरोक्त संस्था ने नियुक्तियों को चुनौती दी हुई है. खैर, वीरभद्र सिंह सरकार के समय नियुक्त सीपीएस के मामले में हाई कोर्ट में 28 दिसंबर 2016 को सुनवाई में तत्कालीन सरकार ने जवाब दाखिल कर कहा था कि सारी नियुक्तियां कानून के दायरे में हुई हैं. उस समय वीरभद्र सिंह सरकार ने हिमाचल हाई कोर्ट में कहा था कि संस्था का याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता और संस्था ने काफी देर बाद याचिका दाखिल की है. तब हाई कोर्ट ने मार्च 2017 को सुनवाई तय की थी. इस तरह मामला लटकता रहा और सरकार का कार्यकाल पूरा हो गया. अलबत्ता 14 मार्च 2014 को राजेश धर्माणी ने अपनी सीपीएस की कुर्सी छोड़ दी थी. उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया था. धर्माणी का कहना था कि ये पद महज दिखावा है.
जयराम सरकार में बने थे चीफ व डिप्टी चीफ व्हिप: दिसंबर 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ और जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी. जयराम सरकार ने सीपीएस तो नहीं बनाए, अलबत्ता विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट के लिए चीफ व्हिप व डिप्टी चीफ व्हिप जरूर नियुक्त किए. नरेंद्र बरागटा चीफ व्हिप बनाए गए थे. कोरोना काल में साल 2021 में नरेंद्र बरागटा के देहावसान के बाद विधायक विक्रम जरयाल को चीफ व्हिप बनाया. महिला विधायक कमलेश कुमारी को डिप्टी चीफ व्हिप बनाया गया था.