शिमला: माननीय हैं तो वाहन में झंडी लगी होनी चाहिए, ताकि दूर से पता चले कि वीवीआईपी हैं. जब मुख्य सचिव, डीसी आदि की कार में फ्लैग लग सकता है तो माननीयों की गाड़ी बिना झंडी या फ्लैग के क्यों हो? पिछली बार भी सेशन के दौरान ये मामला उठा था और इस बार भी पहली बार विधायक बने त्रिलोक जम्वाल ने हिमाचल विधानसभा विंटर सेशन के दौरान ये मामला उठाया. जवाब देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सभी कानूनी पहलुओं पर विचार के बाद इस पर फैसला होगा.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कानूनी प्रावधानों का अध्ययन जरूरी है और जल्दबाजी सही नहीं है. पॉइंट ऑफ आर्डर के तहत मामला उठाते हुए त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि पिछले बजट सत्र में भी ये चर्चा हुई थी. तब भवानी सिंह पठानिया व सुरेश कुमार के चालान का जिक्र हुआ था. जम्वाल ने कहा कि तब एक कमेटी बनी थी और स्पीकर की अध्यक्षता में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा के बाद विधानसभा सचिवालय से एक पत्र 6 अप्रैल को जीएडी यानी सामान्य प्रशासन विभाग को गया था. उस पत्र का मजमून यही था कि विधायकों के वाहन की पहचान अलग से होनी चाहिए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की अवमानना का सामना न करना पड़े.
हिमाचल विधानसभा सचिवालय के पत्र में जिक्र किया गया था कि विधायकों के वाहन में एक डिस्टिंक्टिव फ्लैग लगाने की व्यवस्था हो. जम्वाल ने कहा कि एक्ट में संशोधन के बाद विधानसभा सचिवालय से जीएडी को पत्र गया था, लेकिन इस मामले की अंतिम परिणति क्या हुई, ये जानना जरूरी है. एक एसएचओ विधायक की गाड़ी रोककर पूछता है कि कागजात कहां है? त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि पुलिस वाला ये भी पूछता है कि आप विधायक हो भी या नहीं? भाजपा विधायक के प्रस्ताव का समर्थन कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने भी किया.