मोटापे के साथ हाई ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर का शिकार हो रहे हिमाचली, देखिये हिमाचल का हेल्थ रिपोर्ट कार्ड - high sugar problem in himachal
बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 की पांचवी रिपोर्ट का पहला हिस्सा जारी किया. यह सर्वेक्षण 3 साल के अंतराल में किया जाता है. इससे पहले साल 2015-16 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आई थी. बीते 12 दिसंबर को जारी इस रिपोर्ट के पहले हिस्से में देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े जारी किए गए.
health report card of himachal pradesh year 2020
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Published : Dec 17, 2020, 11:09 PM IST
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Updated : Dec 18, 2020, 12:42 PM IST
शिमला: बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 की पांचवी रिपोर्ट का पहला हिस्सा जारी किया. यह सर्वेक्षण 3 साल के अंतराल में किया जाता है. इससे पहले साल 2015-16 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आई थी. बीते 12 दिसंबर को जारी इस रिपोर्ट के पहले हिस्से में देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े जारी किए गए.
इस सर्वे के दौरान स्वास्थ्य से जुड़े मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रखा गया. हिमाचल में ये सर्वे 16 जुलाई 2019 से 5 नवंबर 2019 के बीच हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र द्वारा किया गया. इस सर्वे की जानकारी 10,696 परिवारों, 10,368 महिलाओं और 1477 पुरुषों से ली गई. इस रिपोर्ट में हिमाचल को लेकर भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
हिमाचली हो रहे मोटापे का शिकार
पोषण स्थिति के लिहाज़ से सर्वे रिपोर्ट कहती है कि हिमाचल प्रदेश में मोटापा बढ़ रहा है. पिछली रिपोर्ट के मुकाबले प्रदेश में 15 साल से लेकर 49 साल के पुरुषों में मोटापा 8 फीसदी बढ़ा है. पिछली बार ऐसे पुरुषों की तादाद 22 फीसदी थी जो बढ़कर 30.6 फीसदी हो गई है. जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 28.6 फीसदी था जो इस बार 30.4 पहुंच गया है.
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5 साल से कम उम्र के बच्चों की बात करें तो करीब 25.5 फीसदी बच्चे कम वजन वाले हैं, जो पिछली बार 21.2 फीसदी थे. इसी तरह 5 साल से कम उम्र के 5.7 फीसदी बच्चों का वजन ज्यादा था. ऐसे बच्चों की तादाद पिछली बार 1.9 फीसदी थी.
क्यों बढ़ रहा है ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर ?
रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचलियों में उच्च रक्त चाप यानि हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है. हिमाचल में 15 साल या उससे अधिक की उम्र की करीब 22.2 फीसदी महिलाओं को या तो हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है या फिर वो इसे नियंत्रण में रखने की दवा खा रही हैं. ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिलाओं का आंकड़ा लगभग बराबर है.
इसी तरह 15 साल या उससे अधिक के करीब 24.4 फीसदी पुरुषों में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है. ग्रामीण स्तर पर ये आंकड़ा 23.6 फीसदी है और शहरी क्षेत्रों में 29.1 फीसदी पुरुष इसका शिकार हैं.
हिमाचल के लोगों में हाई ब्लड शुगर की भी शिकायत है. 14.7 फीसदी पुरुषों और 13.9 फीसदी महिलाओं में ब्लड शुगर लेवल लेवल हाई है.
लिंगानुपात पर ध्यान देने की जरूरत
हिमाचल प्रदेश की आबादी करीब 70 लाख है. इस सर्वे के हिसाब से प्रति 1000 पुरुषों पर हिमाचल में 1040 महिलाएं हैं. ये आंकड़ा भले देश के अन्य राज्यों से बेहतर नजर आ रहा हो लेकिन साल 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक ये आंकड़ा 1078 था. साल 2019-20 में प्रति 1000 पुरुषों पर शहरी क्षेत्र में 936 महिलाएं थी जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 1057 महिलाएं थी.
इसी तरह पिछले 5 साल में पैदा हुए बच्चों के आधार पर लिंगानुपात 875 रहा. इनमें से शहरी इलाकों में लिंगानुपात 843 जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात 880 है. जबकि साल 2015-16 की रिपोर्ट में ये आंकड़ा 937 था.
विवाह, प्रजनन दर और परिवार नियोजन
रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में 20-24 साल की 5.6 फीसद महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो गई. शहरी इलाकों में ये आंकड़ा 7.2 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 5.1 फीसदी है. पिछली बार की रिपोर्ट में प्रदेश में ऐसी महिलाओं की तादाद 8.6 फीसदी थी. ये आंकड़ा बताता है कि बीते सालों में ऐसी महिलाओं की तादाद कम हुई है जिनकी शादी 18 साल से पहले हो जाती है.
वहीं पुरुषों की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में 25 से 29 सालके 5.4 फीसदी पुरुषों की शादी 21 साल से पहले हो गई, जबकि पिछली रिपोर्ट के मुताबिक ये आंकड़ा 7.3 फीसदी था.
कुल प्रजनन दर की बात करें तो साल 2015-16 की सर्वे रिपोर्ट में हर महिला के 1.9 बच्चे थे जबकि इस बार ये आंकड़ा 1.7 पहुंच गया है. शहरों में ये औसत 1.4 बच्चे प्रति महिला है जबकि ग्रामीण इलाकों में 1.7 है.
सर्वे के वक्त 15 से 19 साल की वो महिलाएं जो मां बन चुकी थीं या गर्भवती थी. उनका आंकड़ा मौजूदा रिपोर्ट में 3.4 फीसदी है जबकि पिछली बार ये 2.6 फीसदी था. ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 3.3 फीसदी जबकि जबकि शहरी इलाकों में 4.5 फीसदी था.
परिवार नियोजन के मामले में भी हिमाचल के आंकड़े बेहतर हुए हैं. साल 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में किसी भी विधि से परिवार नियोजन अपनाने वालों की तादाद 57 फीसदी थी जो इस बार बढ़कर 74.2 फीसदी पहुंच गई है. शहर और गांव दोनों जगह ये आंकड़ा लगभग बराबर है.
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य ही किसी देश या प्रदेश की स्वास्थ्य का आइना होता है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती होने पर पहली तिमाही में जांच की बात हो या प्रसव से पहले नियमित जांच और देखभाल की प्रदेश के आंकड़े पिछली रिपोर्ट के मुकाबले बेहतर हुए हैं. करीब 70 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व इस तरह की जांच और देखभाल मिली.
गर्भवती होने पर 180 दिन या उससे अधिक के लिए आयरन फोलिक एसिड का सेवन करने वाली महिलाओं की तादाद भी करीब दोगुनी हुई है. पिछळी रिपोर्ट में ऐसी महिलाओं की संख्या 22.7 फीसदी थी जो मौजूदा रिपोर्ट में 43 फीसदी हो गई है. खास बात ये है कि ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर पर ये आंकड़ा करीब बराबर ही है. 100 या उससे अधिक दिन आयरन फोलिक एसिड का सेवन करने वाली महिलाओं की संख्या पिछली रिपोर्ट में 49.4 फीसदी थी जो इस बार 67.2 फीसदी हो गई.
इस रिपोर्ट के मुताबिक 88.2 फीसदी शिशुओं का जन्म अस्पताल में हुआ. जबकि पिछली रिपोर्ट में ये आंकड़ा 76.4 फीसदी था. इस बार शहरों में 93 फीसदी से ज्यादा शिशुओं का जन्म अस्पताल में हुआ जबकि गांव में ये आंकड़ा 87.6 फीसदी था. सरकारी अस्पतालों में इस बार ये आंकड़ा 71.7 फीसदी रहा. जो पिछली बार 61.6 फीसदी था.
टीकाकरण
हिमाचल में टीकाकरण कार्ड और माता से मिली जानकारी के आधार पर 12-23 महीने के 89.3 फीसदी बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण हुआ है. ये आंकड़ा पिछली बार 69.5 फीसदी है. जबकि सिर्फ टीकाकरण कार्ड की जानकारी के आधार पर ये आंकड़ा और भी बढ़ जाता है. टीकाकरण कार्ड के आधार पर 96.4 फीसदी बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण हुआ है. जो पिछली बार 85.4 फीसदी था. इस बार शहरों में ये आंकड़ा 100 फीसदी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 95.8 फीसदी रहा
HIV/AIDS की जानकारी
रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में एड्स की व्यापक जानकारी रखने वाली महिलाओं की तादाद बढ़ी है. जो पिछली बार के 30.9 फीसदी से बढ़कर 36.2 फीसदी पहुंच गई है. 46.1 फीसदी शहरी जबकि 34.7 फीसदी महिलाओं को एड्स की व्यापक जानकारी है.
एड्स की व्यापक जानकारी के मामले में पुरुषों का आंकड़ा कम हुआ है. पिछली रिपोर्ट के एड्स की जानकारी रखने वाले पुरुषों की तादाद 44.5 फीसदी थी जबकि इस बार ये गिरकर 40.8 फीसदी पहुंच गई है. ग्रामीण स्तर पर 39.8 जबकि 46.9 फीसदी शहरी पुरुषों को इस बामारी के बारे में जानकारी है.
शराब और तंबाकू का सेवन
रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में शराब पीने वाले 15 साल से अधिक उम्र के 31.9 फीसदी पुरुष शराब का सेवन करते हैं. शहरों में ये तादाद 30.4 फीसदी जबकि गांवों में 32.1 फीसदी है. हिमाचल में शराब पीने वाली महिलाओं की तादाद 0.6 फीसदी है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में 0.7 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं जबकि शहर में 0.3 फीसदी.
वहीं 15 साल से अधिक उम्र के तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुषों की तादाद 32.3 फीसदी है. ग्रामीण स्तर पर ऐसे पुरुषों की तादाद 33.4 फीसदी है जबकि ग्रामीण स्तर पर 25.4 फीसदी. प्रदेश में 1.7 फीसदी महिलाएं भी तंबाकू का सेवन करती हैं.
सूचक
NFHS-5(2019-20)
NFHS-4 (2015-16)
शहरी
ग्रामीण
कुल
कुल
कितने घरों में बिजली की आपूर्ति
99%
99.5%
99.5%
99.5%
घरों में पेयजल स्रोत
98.4%
95.9%
96.2%
94.9%
स्वच्छ ईंधन का प्रयोग करने वाले परिवार
94.7%
44.5%
51.7%
36.7%
24-25 साल की महिलाएं जिनकी शादी 18 वर्ष से पहले हुई
7.2%
5.1%
5.4%
8.6%
कुल प्रजनन दर (बच्चे प्रति महिला)
1.4%
1.7%
1.7%
1.9%
15-19 वर्ष की महिलाएं जो सर्वे के वक्त मां बन चुकी थी या गर्भवती थी.
4.5%
3.3%
3.4%
2.6%
नवजात मृत्यु दर (प्रति 1000 जन्म पर)
21.3
20.5
*
25.5
शिशु मृत्यु दर
*
27.1
25.6
34.3
0-5 वर्ष के बच्चों की मृत्यु दर
*
30.9
28.9
37.6
परिवार नियोजन (किसी भी विधि द्वारा)
75.2%
74.1%
74.2 %
57.0%
किसी आधुनिक विधि द्वारा परिवार नियोजन
59.3%
64.0%
63.4%
52.1%
संस्थागत जन्म
93.1%
87.6%
88.2%
76.4%
0-5 साल के कम वजन वाले बच्चे
24.6%
25.6%
25.5%
21.2%
0-5 साल के अधिक वजन वाले बच्चे
5.4%
5.7%
5.7%
1.9%
12-23 महीने के बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण
94.1%
88.5%
89.3%
69.5%
मोटापे की शिकार महिलाएं (15-49 वर्ष)
38.3%
29.2%
30.4%
28.6%
मोटापे के शिकार पुरुष (15-49 वर्ष)
35.7%
29.8%
30.6%
22.0%
एड्स/HIV की व्यापक जानकारी रखने वाली महिलाएं (15-49वर्ष)
46.1%
34.7%
36.2%
30.9%
एड्स/HIV की व्यापक जानकारी रखने वाले पुरुष (15-49वर्ष )
46.9%
39.8%
40.8%
44.5%
कुल जनसंख्या का लिंगानुपात (प्रति 1000 पुरुष पर महिलाएं)
936
1057
1040
1078
बिजली, पानी और रसोई गैस की व्यवस्था
सर्वे के मुताबिक हिमाचल के 99.5 फीसदी घरों तक बिजली पहुंच चुकी है. सर्वे के मुताबिक हिमाचल के शहरी इलाकों के 99 फीसदी और 99.5 फीसदी ग्रामीण घरों में बिजली पहुंच चुकी है. पिछली सर्वे रिपोर्ट में भी हिमाचल 99.5 फीसदी घरों में बिजली पहुंच चुकी थी.
पेयजल साधनों के मामले में हिमाचल की स्थ्ति अन्य राज्यों से बेहतर है. यहां 98.4 फीसदी शहरी और 95.9 फीसदी ग्रामीण घरों में पेयजल साधन मौजूद हैं. हिमाचल के करीब 96.2 फीसदी घरों में पेयजल साधन है जबकि पिछली रिपोर्ट में ये आंकड़ा 94.9 था.
खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने के मामले में हिमाचल के आंकड़े बेहतर हुए हैं. पिछली बार हिमाचल के 36.7 फीसदी घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन की सुविधा थी जबकि मौजूदा रिपोर्ट में ये आंकड़ा 51.7 पहुंच गया है. हिमाचल के शहरी इलाकों में करीब 95 फीसदी घरों में एलपीजी कनेक्शन है जबकि ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 44.5 फीसदी है. हिमाचल में केंद्र सरकार की उज्ज्वला और राज्य सरकार की गृहणी सुविधा योजना के तहत महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं.
हिमाचल और इंटरनेट
रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में 91.7 फीसदी महिलाएं और 94.9 फीसदी पुरुष शिक्षित हैं. महिला हो या पुरुष ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में साक्षरता के आंकड़ों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. हालांकि शहरों में 91.7 फीसदी पुरुष शिक्षित हैं तो महिलाओं का आंकड़ा 95 फीसदी है.
आज का युग इंटरनेट का युग है और हिमाचल के लोग भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने में किसी से पीछे नहीं है. ताजा सर्वे के आंकड़ों पर नजर डालें तो हिमाचल में 67.9 फीसदी पुरुष जबकि 49.7 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने कभी ना कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है. शहर में ऐसे पुरुषों की तादाद 83 फीसदी से अधिक है जबकि 78.9 फीसदी शहरी महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है. ग्रामीण इलाकों में 45.2 फीसदी महिलाओं और 65 फीसदी पुरुषों ने कभी ना कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है.