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पूर्व सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने बीमारी के कारण की खुदकुशी- डीजीपी - himachal police news

डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि मौके पर जो सुसाइड नोट मिला है उसमें खुदकुशी की वजह बीमारी बताई गई है. किसी को भी इसका जिम्मेदार नहीं ठहराया है.

अश्विनी कुमार
अश्विनी कुमार

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Published : Oct 8, 2020, 12:52 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 2:16 PM IST

शिमला: सीबीआई के पूर्व निदेशक और नागालैंड के राज्यपाल रहे अश्विनी कुमार ने बुधवार रात को अपने शिमला स्थित आवास पर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि अश्विनी कुमार ने अपनी बीमारी के चलते ये कदम उठाया है. पुलिस के मुताबिक मौके से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया है.

हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि मौके पर जो सुसाइड नोट मिला है उसमें खुदकुशी की वजह बीमारी बताई गई है. किसी को भी इसका जिम्मेदार नहीं ठहराया है. डीजीपी ने कहा कि मामले पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरी खुदकुशी का कोई जिम्मेदार नहीं है मैं अपनी इच्छा से ये कदम उठा रहा हूं. मैं अपना जीवन समाप्त कर रहा हूं, सभी खुश रहें. एक जीवन मैंने खत्म किया है और एक नया जीवन शुरू कर रहा हूं.

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पुलिस के मुताबिक अश्विनी कुमार ने सुसाइड के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं माना है और परिवार की तरफ से भी ऐसी कोई बात नहीं कही गई है. पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है.

बुधवार रात को शिमला स्थित आवास पर अश्विनी कुमार का शव फंदे से लटका मिला. बताया जा रहा है कि अश्विनी कुमार पार्किंसंस नामक रोग से परेशान थे. डीजीप संजय कुंडू ने भी सुसाइड नोट का जिक्र करते हुए बताया कि नोट में मौत की वजह बीमारी को बताया गया है लेकिन बीमारी कौन सी थी ये पता नहीं है.

अश्विनी कुमार का ताल्लुक हिमाचल के सिरमौर जिले से है. अश्विनी कुमार का जन्म 15 नवंबर 1950 को सिरमौर जिले के नाहन में हुआ था. अश्विनी कुमार ने अपने अपने प्रोफेशनल जीवन में सफलता के कई आयाम हासिल किए.

अश्विनी कुमार 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी थे. 2006 से लेकर 2008 तक हिमाचल के डीजीपी रहे. इसके साथ ही सीबीआई और एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे.

राजीव गांधी की सुरक्षा में भी अश्विनी कुमार तैनात थे. मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. रिटायरमेंट के बाद वह नागालैंड के राज्यपाल बनाए गए, जिस पर उस समय काफी विवाद भी हुआ था. हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे. उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

Last Updated : Oct 8, 2020, 2:16 PM IST

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