शिमला: राजनीति में वंशवाद पर सभी दल एक-दूसरे को कोसते हैं, लेकिन टिकट वितरण के दौरान सारे उपदेश धरे के धरे रह जाते हैं. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में इस बार नेताओं के पुत्रों का बड़ा बोलबाला संभव है. तेरहवीं विधानसभा में वीरभद्र सिंह व विक्रमादित्य सिंह के रूप में पिता-पुत्र की जोड़ी मौजूद थी. वीरभद्र सिंह ने अर्की और विक्रमादित्य सिंह ने शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. इससे पहले वीरभद्र सिंह शिमला ग्रामीण से विधायक थे. वर्ष 2017 में चुनाव से पहले उन्होंने अपने समर्थकों से इच्छा जाहिर की थी कि वे शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. समर्थकों के पुरजोर समर्थन के बाद वीरभद्र सिंह ने विक्रमादित्य सिंह को शिमला ग्रामीण से चुनाव मैदान में उतारा और खुद के लिए अर्की सीट चुनी. दोनों ही चुनाव जीत गए और विधानसभा में पिता-पुत्र की जोड़ी ने प्रवेश किया. (Familyism in Himachal politics) (14th Legislative Assembly of Himachal) (virbhadra singh family in himachal politics)
इस बार मंडी जिले में एक ऐसा ही संयोग संभव हो सकता है. द्रंग विधानसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता कौल सिंह ठाकुर चुनाव मैदान में हैं और मंडी सदर से उनकी बेटी चंपा ठाकुर ने अनिल शर्मा को फिर से टक्कर दी है. वर्ष 2017 में ये दोनों ही चुनाव हार गए थे. यदि कौल सिंह ठाकुर व चंपा ठाकुर 2017 में जीत जाते तो विधानसभा में एक दुर्लभ संयोग बन जाना था. वीरभद्र सिंह व विक्रमादित्य सिंह के साथ-साथ पिता-पुत्री के रूप में कौल सिंह व चंपा ठाकुर भी मौजूद होते. ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार ऐसा संयोग होगा? (Himachal Pradesh Election 2022) (Politics in Himachal)
हिमाचल की राजनीति में परिवारवाद: हिमाचल की राजनीति में परिवारवाद को लेकर निरंतर चर्चा होती रही है. यहां हम इस चुनाव में मैदान में उतरे नेता पुत्रों की बात करेंगे. भाजपा के मजबूत नेता और चुनाव जीतने के अनूठे रिकॉर्ड के लिए चर्चित महेंद्र सिंह ठाकुर इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरे. उन्होंने अपने बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिलवाई. हालांकि इससे उनकी बेटी वंदना नाराज थीं, लेकिन उसे बाद में महेंद्र सिंह ठाकुर ने मना लिया. ऊपरी शिमला में भाजपा को मजबूत करने वाले स्व. नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा उपचुनाव में आजाद उम्मीदवार के रूप में लड़े थे. उपचुनाव में उन्हें पार्टी से टिकट नहीं दिया गया था, लेकिन अब उनकी वापसी हुई और वे भाजपा टिकट से चुनाव लड़े हैं. (Himachal Election 2022 Result)
वहीं, कांग्रेस पर नजर डालें तो बीबीएल बुटेल (ब्रिज बिहारी लाल बुटेल, Brij Behari Lal Butail) ने अपनी सियासी विरासत बेटे आशीष बुटेल को सौंपी है. आशीष पिछली बार भी चुनाव जीते थे. इस बार फिर से विजयश्री उनके हाथ आई तो वे दूसरी बार विधायक बनेंगे. इस तरह पालमपुर की सीट पर पिता की विरासत बेटे के पास आई है. नगरोटा बगवां से कांग्रेस के बड़े नेता जीएस बाली के बेटे रघुवीर सिंह बाली चुनाव लड़ रहे हैं. जीएस बाली अब इस संसार में नहीं हैं. यदि रघुवीर बाली चुनाव जीतते हैं तो नगरोटा की विरासत जीएस बाली से होकर उनके बेटे तक पहुंच जाएगी. कांगड़ा के ही एक और बड़े नेता सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी पठानिया उपचुनाव जीतकर विधायक बने. उनके पिता का देहांत होने के बाद पार्टी ने उपचुनाव में भवानी को टिकट दी थी. अब वे फिर से चुनाव मैदान में हैं. कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर का जिक्र पहले ही हो गया है.