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Eye Flu In Shimla: आई फ्लू के चपेट में राजधानी, हर दिन आ रहे 15 से 20 मामले, जानें कैसे करें बचाव - शिमला आईजीएमसी में आई फ्लू के मामले

मानसून सीजन के बीच प्रदेशभर में इन दिनों आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. राजधानी शिमला में भी आईफ्लू ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. आईजीएमसी में रोजाना 15 से 20 मरीज उपचार कराने आ रहे हैं. वहीं, आईजीएमसी के एमएस डॉ. राहुल का कहना है कि अस्पताल में इस बीमारी का आसानी से इलाज किया जा सकता है. अगर आई फ्लू का समय से उपचार न किया जाए तो आखों में इंफेक्शन हो सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

EYE FLU CASES IN HIMACHAL
शिमला आईजीएमसी में आई फ्लू के मामले

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 27, 2023, 8:32 PM IST

शिमला:हिमाचल में इन दिनों तेजी से आई फ्लू का प्रकोप फैल रहा है. अब राजधानी में आई फ्लू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. दरअसल, आईजीएमसी में रोजाना 15 से 20 मरीज आ रहे हैं. अब तक आईजीएमसी में एक हजार से ज्यादा मरीज अपना उपचार करवा चुके है. बता दें, आई फ्लू ज्यादातर छोटे बच्चों को हो रहा है. ऐसे में अब चिकित्सकों द्वारा लोगों को सावधानी बरतनें के निर्देश दिए जा रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर एडवाजरी भी जारी की है. बताया जा रहा है कि मौसम में बदलाव के कारण कंजंक्टिवाइटिस नामक नेत्र रोग हो रहा है. इसे सामान्य भाषा में आई फ्लू कहा जाता है.

फंगस के संक्रमण से होता है आई फ्लू:दरअसल, यह नेत्र रोग ज्यादातर धूल भरे मौसम में या हल्की ठंड और गर्म मौसम में फैलता है. वायरस, वैक्टीरिया और फंगस के संक्रमण की वजह से आई फ्लू होता है. आई फ्लू वैसे तो ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन आंखों में होने के कारण ये कष्टदायक होता है. ये एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत तेजी से फैलता है. बच्चे इस रोग के शिकार सबसे ज्यादा होते हैं और उन्हें यह संक्रमण स्कूल, खेल के मैदान में दूसरे संक्रमित बच्चों के संपर्क में आने से होता है. इस संक्रमण में आंखों में जलन होती है. आमतौर पर यह एक एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है, लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है. ध्यान रहे कि श्वसन तंत्र या नाक, कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है. इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है. इससे बचने के लिए इन दिनों लोगों को सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा.

जानिए आई फ्लू के लक्षण:आंखों का ये संक्रमण आंखों की सफेद सतह की ऊपरी परत में होता है. इससे आंखे लाल हो जाती हैं,आंखों से पानी आने लगता है और तीव्र जलन होती है. पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है. आंखों में चुभन होती है और सूजन आ जाती है तथा तेज दर्द होता है. वहीं, इस कारण आंखों में खुजली भी होती है, कई बार इस संक्रमण के कारण बुखार भी हो जाता है.

ऐसे करें आई फ्लू बीमारी का उपचार:वैसे तो ये परेशानी 2 से 3 दिन में ठीक हो जाती है. अगर 2 से 3 दिन में यह ठीक न हो तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. इसकी अनदेखी करने या गलत इलाज की वजह से ये रोग आंख की बाहरी परत यानी कोर्निया में भी फैल सकता है. कंजंक्टिवाइटिस के कई प्रकार हैं. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस खुद व खुद ही ठीक हो जाते हैं, जबकि एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के लिए एंटीबायोटिक ड्रॉप डालने को दी जाती है और वायरल कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों को ठंडा सेक लेने के लिए कहा जाता है. संक्रमण हो जाने पर कॉन्टेक्ट लैंस न लगाएं। काला चश्मा पहनें.

ऐसे करें बचाव:अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से साफ करते रहें. आंखों की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें. आंखों को ठंडे पानी से बार-बार धोएं. किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. ऑफिस में बहुत से लोग एक ही कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हों तो की-बोर्ड और माउस को संक्रमण रहित करके ही काम करें. इस रोग के मरीज आंखों पर बार-बार हाथ न लगाएं. अगर संक्रमित आंख को छुएं तो हाथ को अच्छी तरह साफ करें. गंदगी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने सें बचें. संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं. स्विमिंग पूल में जाने से बचें. आंखों में नियमित रूप से गुलाब जल डालें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा आंखों में न डालें.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. राहुल ने बताया कि इन दिनों आई फ्लू के मामले अस्पताल में आ रहे हैं. मरीजों को इस बीमारी से बचने की जानकारी दी जा रही है. अस्पताल में इस बीमारी का आसानी से इलाज किया जा सकता है. अगर आई फ्लू का समय से उपचार न किया जाए तो आखों में इंफेक्शन हो सकता है. इसलिए समय रहते ही चिकित्सक को अपनी आंखे दिखाए. आईजीएमसी में काफी मरीज उपचार करवाने आ रहे हैं.

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