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कोरोना के साथ सीखना होगा जीना-मरना, जरूरतों के मुताबिक चलानी पड़ेगी जिंदगी- शांता कुमार

ईटीवी भारत ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने देश के मौजूदा हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रदेश और केंद्र सरकार को कुछ परामर्श दिए.

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पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार

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Published : May 20, 2020, 11:03 PM IST

शिमला: हिमाचल में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. प्रदेश में कोरोना मामलों का आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है. साथ ही कोरोना के 50 से ज्यादा मामले एक्टिव हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कोरोना महामारी को लेकर चिंता जाहिर की है.

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शांता कुमार ने कहा कि कोरोना संकट ना थमा है ना टला है. ये संकट लागातार बढ़ता जा रहा है. इसलिए लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. हिमाचल के ही नहीं पूरे भारत के करोड़ों लोग रोजी-रोटी के लिए दूसरे शहरों में गए हैं. कोरोना संकट के बीच कामकाज बंद हैं. लोग घर का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में बाहर फंसे हुए लोगों को घर लाना जरूरी है, लेकिन लोगों को घर वापिस लाते समय सावधानी नहीं बरती गई तो इन्हें घर वापिस लाना बहुत बड़ा संकट बन जाएगा.

शांता कुमार ने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए खास व्यवस्था करनी होगी. जिनती व्यव्स्था हम कर सकते हैं उतने ही लोगों को हमे लाना होगा. तभी हम इसे रोक सकते हैं, क्योंकि इस बीमारी के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता है. इतिहास में विश्व इस तरह का संकट पहली बार झेल रहा है.

शांता कुमार ने कहा कि बाहरी राज्यों में फंसे लोगों को इस समय वापिस लाना बहुत कठिन है, लेकिन सरकार ने इस काम को बड़ी सफलता से करने की कोशिश की है. हर प्रदेश में इतने अधिक लोग बाहर से आ रहे हैं. एकदम से लोगों के सैलाब को संभालना मुश्किल हैं. हिमाचल सरकार ने वापिस आ रहे लोगों को रखने के लिए अच्छी व्यवस्था की है. हमे उतने ही लोगों को प्रवेश देना चाहिए जितनी हमारी क्षमता है.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की असली समस्या जनसंख्या विस्फोट है. गुजरात में 40 लाख लोग बाहरी राज्यों के काम करते हैं. हिमाचल जैसे राज्य में सभी लोगों को रोजगार देना कठिन है, लेकिन कृषि व्यवसाय की तरफ रुख कर इसका हल कुछ हद तक निकाला जा सकता है. इसके साथ ही धीरे-धीरे हमे कोरोना के साथ जीना और मरना सीखना होगा. धीरे-धीरे उद्योग धंधे शुरू होंगे और सभी लोगों को रोजगार मिलेगा.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या है. हालात सामान्य होने के बाद सबसे पहला काम बढ़ती आबादी को रोकने का होना चाहिए. हमारा नारा हम दो-हमारे दो होना चाहिए. भारत की आबादी 140 करोड़ तक पहुंच चुकी है. हर साल भारत की जनसंख्या 1 करोड़ 60 तक बढ़ रही है. जनसंख्या विस्फोट के कारण भारत आज दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल हो गया है.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की सभी सरकारों ने गरीबी दूर करने की कोशिश की है. 2014 के बाद सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं. सरकार ने अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरा प्रयास किया है, लेकिन सरकार जनसंख्या विस्फोट के आगे बेबस है. इतनी रफ्तार से बढ़ रही आबादी के कारण सरकार गरीबी दूर नहीं कर सकती है.

शांता कुमार ने कहा कि पीएम मोदी का सबका साथ-सबका विकास का नारा बहुत अच्छा है, लेकिन ये काफी नहीं है. मैने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि ये पर्याप्त नहीं है. सबसे पहले गरीब का विकास होना चाहिए. हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक आज भी भारत में 19 करोड़ ऐसे लोग हैं जो रात को भूखे पेट सोते हैं. आजादी के 72 साल बाद इतने लोग भूखे पेट सोते हैं तो ये दुर्भाग्य और शर्म की बात है.

शांता कुमार ने कहा कि देश से भूखमरी को खत्म करने के लिए उन्होंने 2014 को पीएम को पत्र लिखकर सुझाव दिया था. भूखमरी को समाप्त करने के लिए एक अंतोदय मंत्रालय बनाना चाहिए. यह मंत्रालय सिर्फ 19 करोड़ लोगों को भूखमरी की स्थिति से बाहर निकालेगा.

देश के सभी साधनों को इन 19 करोड़ लोगों की ओर प्रवाहित करना पड़ेगा. साल 1977 में हिमाचल में बीजेपी की सरकार ने अंतोदय कार्यक्रम शुरू किया था. इसके तहत एक करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का लक्ष्य रखा था और सिर्फ एक साल के अंदर ही 30 प्रतिशत लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था.

मोदी सरकार की ओर से जारी आर्थिक पैकेज पर शांता कुमार ने कहा कि आज की परिस्थितियों के मुताबिक इससे बढ़िया पैकेज नहीं हो सकता था. वर्तमान में जितना हो सकता था उतना करने का प्रयास किया गया है. शांता कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति ने एक साल तक अपना 30 प्रतिशत वेतन ना लेने की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति भवन के खर्चों में 20 प्रतिशत की बचत करने की बात कही थी. उन्होंने खर्चों में बचत करने की बात कहकर पूरे देश को रास्ता दिखाया है.

शांता कुमार ने कहा कि सरकारों में भयंकर फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार होता है. नॉन प्लान एक्सपेंडिचर में केंद्र और राज्य सरकारें 20 प्रतिशत की बचत कर सकती हैं. यह बचत कई लाख करोड़ रुपये की होती है. नॉन प्लॉन एकपेंडिचर ही 25 लाख करोड़ जिसका 20 प्रतिशत हिस्सा सरकारों को बचाना होगा.

शांता कुमार ने कहा कि 1977 में जब वह हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे. उस दौरान उन्होंने 2 साल में ही 50 करोड़ रुपये बचाए थे. इस बचत को उन्होंने पेयजल योजनाओं में लगाया था. छोटा सा राज्य हिमाचल अगर इतनी बड़ी बचत कर सकता है तो पूरा देश क्यों नहीं.

अब कोरोना महामारी के बाद व्यक्ति और समाज को एक मंत्र याद रखना होगा. यह मंत्र है कि जिंदगी अब जरूरतों के मुताबिक चलानी पड़ेगी. आज भी हमारे देश में सरकारें फिजूलखर्ची करती हैं. नवाबी ढंग से काम करती हैं. जिस देश में 19 करोड़ लोग भूखे सोते हैं. उस देश की सरकार एक भी रुपये की फिजूलखर्ची करे तो ये देश के साथ अन्याय है. शांता कुमार ने कहा कि पूरे देश की सरकारों को बचत का कार्यक्रम भी बनाना पड़ेगा. राष्ट्रपति की तरह पीएम मोदी भी पूरे देश की सरकारों को नॉन प्लान बजट में एक प्रतिशत की कटौती करके भी भारी बचत की जा सकती है.

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