शिमला:वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के जितने भी हथियार हैं. हिमाचल प्रदेश उन सभी से लैस है. हिमाचल में पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर पीपीई किट, मास्क, सेनिटाइजर और अन्य जरूरी वस्तुएं मौजूद हैं.
आलम यह है कि स्वास्थ्य निदेशालय में उपरोक्त सभी सामग्री के स्टोर भरे हैं और उन्हें जरूरत के मुताबिक अस्पतालों और जिलों के स्वास्थ्य संस्थानों में भेजा जा रहा है. केंद्र सरकार से भी हिमाचल प्रदेश को वेंटिलेटर और अन्य सामान मिला है.
इसके अलावा कुछ कॉर्पोरेट समूह ने भी बड़ी संख्या में स्वास्थ्य उपकरण डोनेट किए हैं. स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रमेश चंद के अनुसार हिमाचल में वेंटिलेटर के अलावा अन्य सभी सामानों की कभी कोई कमी नहीं रही. और जरूरत के मुताबिक सारा सामान स्वास्थ्य संस्थानों को भेजा गया है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रमेश ने बताया कि इस समय प्रदेश में 500 से अधिक वेंटिलेटर हैं. इन्हें जरूरत के मुताबिक स्वास्थ्य संस्थानों में इंस्टॉल किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि डॉ रमेश स्वास्थ्य निदेशालय में कोविड से संबंधित उपकरणों का जिम्मा देख रहे हैं.
हालांकि हिमाचल में वेंटिलेटर की खास जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन भविष्य में किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश के पास पर्याप्त वेंटीलेटर मौजूद हैं. डॉ. रमेश ने कहा कि वेंटिलेटर को इंस्टॉल करने के लिए दिल्ली से विशेष टीम प्रदेश आई थी.
इसके अलावा सभी अस्पतालों में जहां पर यह बैठे लीटर उपलब्ध करवाए गए हैं. वहां के स्टाफ को विशेषज्ञों द्वारा ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है. हिमाचल प्रदेश में यदि कोविड की स्थिति को देखें तो यहां इस समय एक्टिव मरीजों की संख्या 12 सौ से अधिक है. अभी तक कुल 4 हजार से अधिक मामले आए हैं.
इनमें से बहुत कम लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी है. हिमाचल में शिमला नेरचौक टांडा और अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में कोरोना के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था है. सभी अस्पतालों में पूरी तरह से प्रशिक्षित डॉक्टर और स्टाफ है.
डॉ. रमेश ने बताया कि कोरोना संकट के शुरुआती दौर में हिमाचल के पास वेंटिलेटर और अन्य जरूरी सामान नहीं था. वह समय मुश्किल का था. प्रदेश में केंद्र से जब उपकरणों की मदद आई तो उसे अनलोड करने के लिए लेबर भी मौजूद नहीं थी. ऐसे समय में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने ही सामान को ट्रकों से उतारा और स्वास्थ्य संस्थानों तक पहुंचाने में मदद की.
हिमाचल को टाटा ट्रस्ट की तरफ से 4800 पीपीई किट और 21,000 उच्च गुणवत्ता के मास्क उपलब्ध करवाए गए. टाटा समूह ने तीसरी दफा सुरक्षा सामग्री से भरा ट्रक भेजा था. इसी तरह हीरो हौंडा ग्रुप में भी पीपीई किट और अन्य सामान भेजा. प्रदेश के सभी अस्पतालों में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के पास पर्याप्त मात्रा में मास्क, हैंड सेनेटाइजर और पीपीई उपलब्ध है.
संकटकाल में किया दिन-रात कामस्वास्थ्य निदेशालय में कोरोना के आरंभिक दौर में दिन-रात काम हुआ यहां तक कि कई कर्मचारी रात को भी निदेशालय में ही रुकते थे. सभी अस्पतालों में जरूरी सामान की उपलब्धता की लिस्ट बनाने से लेकर एक-एक स्वास्थ्य संस्थान से आई डिमांड के अनुसार सामान भेजने की व्यवस्था करने के लिए डिप्टी डायरेक्टर और उनके स्टाफ ने दिन-रात काम किया.
डॉ. रमेश याद करते हैं कि हिमाचल में स्वाइन फ्लू के दौरान कोरोना से अधिक मौतें हुई थी उस समय स्वाइन फ्लू से लड़ने के इतने हथियार मौजूद नहीं थे जनता में भी जागरूकता की कमी थी, लेकिन कोरोना महामारी में आम जनता भी जागरूक है और सरकार और प्रशासन भी सतर्क होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है.
यही कारण है कि हिमाचल में कोरोना का अन्य राज्यों के मुकाबले कम असर देखने को मिला है. यह बात सही है कि पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामले बढ़े हैं, लेकिन रिकवरी रेट भी उतना ही अच्छा है साथ ही मृत्यु दर में भी भी राज्यों के मुकाबले कम है, उन्होंने कहा कि जागरूकता से ही इस बीमारी से लड़ा जा सकता है.