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Published : May 18, 2021, 3:14 PM IST

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ट्रक में दम घुटने से 20 गायों की मौत, 3 लोग गिरफ्तार...चौपाल के अस्थाई गो सदन से जुड़ा है मामला

चौपाल में पशु क्रूरता से जुड़ा एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. जहां एक अस्थाई गौसदन से गौवंश को देर रात चोरी छिपे जंगल ले जाते वक्त करीब 20 मवेशियों की मौत हो गई है. इस मामले में पुलिस द्वारा 2 ट्रकों को कब्जे में लिए गया है और अब तक तीन लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. पुलिस द्वारा पूरे मामले की गहनता से जांच की जा रही है.

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फोटो.

चौपाल: राजधानी शिमला के चौपाल में पशु क्रूरता से जुड़ा एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. जहां एक अस्थाई गौसदन से गौवंश को देर रात चोरी छिपे जंगल ले जाते वक्त करीब 20 मवेशियों की मौत हो गई है. इस मामले में पुलिस द्वारा 2 ट्रकों को कब्जे में लिए गया है और अब तक तीन लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.

20 गायों की मौत

प्राप्त जानकारी के अनुसार चौपाल के नेरवा में निर्मित अस्थाई गौसदन से गौवंश को रविवार देर रात 2 ट्रकों में भरकर देईया के जंगलों में ले जाया जा रहा था. गांव वालों को जैसे ही इसकी भनक लगी उन्होंने इसका विरोध किया और पुलिस को मामले की सूचना दी गई. विवाद बढ़ने के बाद गौवंश से भरे हुए दोनों ट्रकों को वापिस नेरवा के अस्थाई गौसदन पहुंचाया गया. जहां ट्रकों से गौवंश को उतारते वक्त करीब 20 गाय मरी हुई हालत में पाई गई.

पुलिस द्वारा मृत गौवंश का पोस्ट मार्टम करवाया गया जिसमें दम घुटने के कारण गौवंश की मौत होने की बात सामने आई. सोमवार को सभी मृत मवेशियों को जेसीबी की सहायता से दफनाया गया है और अन्य मवेशियों को नेरवा के अस्थाई गौसदन में रखा गया है.

3 लोगों को किया गया गिरफ्तार

नेरवा पुलिस थाना के प्रभारी प्रदीप ठाकुर ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 429,34 और पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 के तहत मामला दर्ज किया गया है. फिलहाल ट्रक चालक सहित कुल 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस द्वारा पूरे मामले की गहनता से जांच की जा रही है.

स्वयंसेवकों द्वारा गौसदन का करवाया गया निर्माण

आपको बता दें कि कुछ स्वयंसेवकों द्वारा बीते वर्ष नेरवा में एक अस्थायी गौसदन का निर्माण करवाया गया था. करीब एक वर्ष तक बेसहारा गौवंश के लिए लाखों रुपये खर्च करके हरे चारे और आसरे की व्यवस्था भी स्वयं सेवकों द्वारा अपने स्तर पर ही गई थी. गौवंश की अच्छी देखभाल के लिए दो कर्मचारियों को भी मासिक वेतन पर नियुक्त किया गया था, जिनकी तनख्वाह भी स्वयंसेवियों द्वारा अदा की जाती थी. इस दौरान प्रशासन और सरकार से कई मर्तबा सहायता मुहैया करवाने का आग्रह भी किया गया मगर कहीं से कोई मदद नहीं मिल पाई.
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