शिमला:हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार में नियुक्त 6 मुख्य संसदीय सचिवों का मामला गरमाया हुआ है. भाजपा लगातार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. भाजपा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रदेश सरकार में इन मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दिया है. आज इस मामले को लेकर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई थी, लेकिन प्रदेश सरकार में CPS के आग्रह पर हाई कोर्ट ने अभी के लिए सुनवाई टाल दी है. मामले में अगली सुनवाई हाई कोर्ट में 19 जून को होगी. वहीं, हाई कोर्ट में मुख्य संसदीय सचिवों ने जवाब देने के लिए 1 माह की समय अवधि मांगी है.
'उप मुख्यमंत्री का पद भी असंवैधानिक': वहीं, हिमाचल हाई कोर्ट में भाजपा के वकील सत्यपाल जैन ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति पूरी तरह संविधान के विरुद्ध है. इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश में बनाए उप मुख्यमंत्री का पद भी असंवैधानिक है. सत्यपाल जैन ने कहा कि सरकार संविधान के अनुसार कार्य करती है. अगर प्रदेश में स्थिति ऐसी ही चलती रही तो वो दिन दूर नहीं जब आने वाले वक्त में सरकार एडिशनल सीएम भी बना दें. उन्होंने कहा कि सरकार को केवल संविधान के दायरे में ही चलना होता है. सरकार प्रदेश में इस तरह से अपनी मनमर्जी नहीं चला सकती है. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के सामने इस मामले पर पूरे तथ्यों के साथ अपनी बात रखेंगे.
'पूर्व में भी CPS को देने पड़े हैं पद से इस्तीफे': सत्यपाल जैन ने कहा कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने असम और मणिपुर राज्य में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया हुआ है. जिसके बाद असम और मणिपुर में मुख्य संसदीय सचिवों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हिमाचल प्रदेश में भी पूर्व में तत्कालीन वीरभद्र सरकार के समय मुख्य संसदीय सचिवों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.