शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सरकार की गाड़ी रूटीन के खर्च के लिए भी कर्ज के सहारे चल रही है. दो किस्तों में अप्लाई किया गया एक हजार करोड़ रुपए का लोन सरकारी खजाने में आ गया है. कर्ज की इस रकम से सरकार केवल वेतन और पेंशन का इंतजाम कर पाएगी. इसके अलावा कुछ रूटीन के खर्च निकलेंगे. ऐसे में आने वाले समय में संकट के संकेत हैं. अभी मार्च तक की तिमाही बाकी है. आगे के खर्च कैसे निकलेंगे, इसे लेकर वित्त विभाग के अफसर भी चिंता में हैं.
दरअसल, ये एक हजार करोड़ रुपए की रकम फरवरी महीने के रूटीन के खर्च में ही खत्म हो जाएंगे. इस रकम में से फरवरी महीने में एचआरटीसी, बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए कम से कम 250 करोड़ रुपए खर्च हो जाएंगे. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के लाभार्थियों के लिए पैसे की जरूरत है. हिमकेयर व आयुष्मान भारत जैसी निशुल्क स्वास्थ्य योजनाओं का बकाया 236 करोड़ रुपए से अधिक का है. वित्त विभाग कुछ रकम स्वास्थ्य विभाग की इन देनदारियों को चुकाने के लिए भी जारी करेगा.
बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को जनवरी माह का वेतन पहले सप्ताह में नहीं मिल पाया था. अन्य विभागों को पहली जनवरी को वेतन जारी हो गया था. बिजली बोर्ड के कर्मियों ने वेतन व पेंशन न मिलने पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. अंततः उनका वेतन जारी हुआ. अब सरकार के खजाने में लोन की रकम आ गई है तो फरवरी माह में बिजली बोर्ड के कर्मियों को समय पर वेतन मिलने के आसार हैं.