शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेशवासियों को विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई दी है. इस अवसर पर सीएम ने प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए खुशी जाहिर की और कहा कि इस वर्ष पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस को जैव विविधता के संरक्षण के प्रति समर्पित किया गया है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक दृष्टी से बहुत ही संवेशनशील है. प्रकृति ने हिमालयी क्षेत्र को अपार प्रकृति व जैव संसाधन प्रधान किए हैं, जो इसी जैव विविधता में समाहित है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से जुझ रहा है. इस संकट की घड़ी में हमारे पास कोई दवाई या इलाज न होने की स्थिती में इससे बचने का विकल्प हमारी प्रतिरोधक क्षमता है.
सीएम ने कहा कि हिमालय की धरती पर उगने वाली आंतरिक जड़ी-बूटियां ही इससे बचने में उपयोगी हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में प्राकृतिक वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों का अहम योगदान है.
उन्होंने कहा कि इन जड़ी-बूटियों का कई प्रकार से सामाजिक और वैज्ञानिक प्रयोग किया जाता है. हिमाचल प्रदेश में कुल 500 प्रकार की दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिनका स्थानीय लोगों के लिए पारंपरिक महत्व और गहरा नाता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश की लगभग 7 प्रतिशत जैव विविधता हिमाचल प्रदेश में उपलब्ध है और इन जड़ी-बूटियों पर लाखों आयुर्वेदिक दवाईयों के कारखाने आधारित हैं. करोड़ों लोगों की आजीविका भी इन्ही जड़ी-बूटियों पर आधारित हैं और अगर समय रहते इन्हें सुरक्षित नहीं किया गया तो यह लुप्त हो जाएंगी, जिससे मानव जाति को बहुत बड़ा घाटा होगा.
यह स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक क्षेत्र में भी बहुत बड़ा नुक्सान होगा. जयराम ठाकुर ने कहा, प्रदेश सरकार की ओर से जैव विविधता संरक्षण के लिए सभी ग्राम पंचायतों में जैव विविधता प्रबंधन कमेटियों का गठन किया गया है. इसके साथ ही प्रदेश में जड़ी-बूटियों की गणना का काम व्यापक तौर पर चल रहा है.