शिमला: बहुचर्चित फर्जी डिग्री मामले में सीआईडी को अब करीब तीन हजार और फर्जी डिग्रियां बेचे जाने के सबूत मिले हैं. जानकारी के अनुसार ये सबूत उन 55 हार्ड डिस्क के डाटा से मिले हैं, जिन्हें छापा मारकर एसआईटी ने अपने कब्जे में लिया था. जांच टीम ने मानव भारती विश्वविद्यालय में दबिश के दौरान 55 हार्ड डिस्क को कब्जे में लिया था, जिनमें से अब तक 20 के डाटा को खंगाला जा चुका है.
फर्जी डिग्रियों को कराया जा रहा सत्यापित
अभी तक कुल 41 हजार डिग्रियां मिली हैं, जिनमें से 36 हजार के फर्जी होने और पांच हजार के सही होने की हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग पुष्टि कर चुका है. अब तीन हजार और फर्जी डिग्रियों को भी आयोग से सत्यापित कराया जा रहा है, ताकि केस में सबूत के तौर पर इन्हें भी शामिल किया जा सके. इन डिग्रियों को जिन लोगों को आवंटित किया गया है, उनसे भी संपर्क कर मूल डिग्री को अपने कब्जे में लेने के लिए जांच टीम लगातार कदम ताल कर रही है. सूत्रों का कहना है कि बाकी डिस्क के डाटा को खंगालने के बाद फर्जी डिग्रियों की असली संख्या सामने आ पाएगी.
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संपत्तियों को जब्त करने की कवायद में जुटी विशेष टीम
गौरतलब है कि मानव भारती विश्वविद्यालय के मालिक राज कुमार राणा की 194 करोड़ रुपये की संपत्ति सीज की जा चुकी है. विशेष जांच टीम अब राणा के परिवार को भारत लाकर उनके नाम से खरीदी गई संपत्तियों को भी जब्त करने की कवायद में जुटी है. दरअसल, जांच में पता चला है कि करीब 387 करोड़ रुपये का काला धन फर्जी डिग्रियां बेचकर कमाया गया है. इसके बाद राणा ने खुद और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर संपत्तियां खड़ी कर लीं. परिवार विदेश में है और हिमाचल प्रदेश आए बिना उनकी संपत्तियों को अटैच नहीं किया जा सकता है. इसलिए सीआईडी विदेश मंत्रालय के जरिये राणा की पत्नी व बच्चों के प्रत्यर्पण को लेकर प्रयास कर रही है.
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