शिमलाः हिमाचल प्रदेश छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों द्वारा टयूशन फीस के साथ सभी तरह के चार्ज वसूली के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का एलान किया है. 16 दिसंबर, 21 दिसम्बर, 24 दिसम्बर और 28 दिसम्बर को पहले चरण का आंदोलन होगा. इसके तहत शिमला में शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने प्रदर्शन होंगे.
मंच ने अभिभावकों से आह्वान किया है कि वे निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के खिलाफ हर जिला में उप निदेशक, खण्ड शिक्षाधिकारी, तहसील कार्यालयों और स्कूलों के बाहर धरने प्रदर्शन करें. मंच ने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने सभी तरह के चार्ज वसूली और साल 2020 में निजी स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस पर रोक न लगाई तो पहले चरण के बाद दूसरे चरण का आंदोलन भी शुरू होगा.
छात्र-अभिभावक विरोधी अधिसूचनाओं को तुरन्त रद्द करने की मांग
मंच के संयोजक विजेंदर मेहरा ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह 10 नवम्बर और 8 दिसम्बर 2020 की छात्र व अभिभावक विरोधी अधिसूचनाओं को तुरन्त रद्द करे और निजी स्कूलों की टयूशन फीस के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के चार्ज पर रोक लगाने की अधिसूचना जारी करें.
उन्होंने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की साल 2020 की फीस बढ़ोतरी, एनुअल चार्ज, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लासरूम, स्पोर्ट्स फंड, मिसलीनियस, केयर और अन्य चार्ज की वसूली पर रोक न लगाई तो आंदोलन तेज होगा.
16 लाख छात्र-अभिभावकों से फीस के बहिष्कार की अपील
छात्र अभिभावक मंच निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के 10 लाख अभिभावकों सहित कुल 16 लाख लोगों से निजी स्कूलों की पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है. मेहरा ने पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को बेहद चौंकाने वाला छात्र व अभिभावक विरोधी निर्णय बताया है. उन्होंने शिक्षा निदेशक की 8 दिसम्बर, 2020 की अधिसूचना को निजी स्कूलों की मनमानी को बढ़ाने वाला कदम बताया है. उन्होंने कहा है कि इस अधिसूचना में स्कूल पीटीए व प्रबंधन को फीसों के संदर्भ में निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है.
मामले में हस्तक्षेप करे उच्च न्यायालय
हिमाचल प्रदेश छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंदर मेहरा ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप कर प्रदेश सरकार और शिक्षा निदेशक पर न्यायालय के आदेशों की अवमानना की कार्रवाई करे. प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रहे हैं और अपनी सुविधानुसार उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रहे हैं.
उन्होंने कहा है कि अगर निजी स्कूलों द्वारा उच्च न्यायालय व शिक्षा विभाग के नाम पर पूर्ण फीस वसूली के मोबाइल संदेशों का शिक्षा निदेशक ने खंडन नहीं किया और स्पष्टीकरण के रूप में अधिसूचना जारी न की तो प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग और निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ उच्च न्यायालय में आदेशों की अवमानना का मामला उठाया जाएगा.
उन्होंने शिक्षा निदेशक से मांग की है कि साल 2020 की बढ़ी हुई फीस, एनुअल चार्जेज़, कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लासरूम, स्पोर्ट्स, मिसलेनियस, केयर व अन्य चार्ज के नाम पर अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए.